बिलासपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के बिलासपुर जिले में हाल ही में संपन्न हुए जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, और इसके पीछे पार्टी के भीतर क्रॉस वोटिंग को जिम्मेदार माना गया। अब आगामी 15 अप्रैल को स्थायी समितियों के सभापति एवं सदस्यों के चुनाव को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। एक ओर जहां चुनावी तैयारी जोर पकड़ रही है, वहीं दूसरी ओर क्रॉस वोटिंग की जांच में भी तेजी आ गई है। जिला कांग्रेस कमेटी ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को मिले वोटों के अंतर पर गंभीरता से विचार किया है। विशेष रूप से उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस को मिले 7 मतों में से एक वोट के रद्द होने या क्रॉस होने की बात सामने आई, जबकि अध्यक्ष पद के लिए पार्टी प्रत्याशी को 8 वोट प्राप्त हुए थे। इस अंतर ने भितरघात की आशंका जताई।
इसकी जांच के लिए कांग्रेस ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जिसमें सीपत ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य राजेन्द्र धीवर, जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के महामंत्री धनंजय सिंह ठाकुर और रोमहर्ष शर्मा को शामिल किया गया है। इस समिति को निर्देश दिया गया है कि वे इस क्रॉस वोटिंग के पीछे जिम्मेदार सदस्य की पहचान करें और 15 अप्रैल को होने वाले चुनाव के पहले गोपनीय रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपें।
देखा जा रहा है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रत्याशियों की जीत के बावजूद कांग्रेस ने हार नहीं मानी है। पार्टी अब जिला पंचायत की विभिन्न स्थायी समितियों के सभापति और सदस्यों के चुनाव के लिए रणनीति बना रही है। मालूम हो कि अपर कलेक्टर शिव कुमार बनर्जी, तहसीलदार मुकेश देवांगन और राहुल शमी की निगरानी में 15 अप्रैल को यह चुनाव सुबह 11 बजे जिला पंचायत सभाकक्ष में होगा। इससे पहले नामांकन दाखिल किए जाएंगे और फिर मतदान होगा। वर्तमान स्थिति में जिला पंचायत में भाजपा के 9 और कांग्रेस समर्थित 8 सदस्य हैं, जिससे एक बार फिर कांटे की टक्कर की उम्मीद जताई जा रही है।
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पदों में पराजय के बाद कांग्रेस के भीतर असंतोष की स्थिति भी उभरकर सामने आई है। विशेष रूप से बिल्हा क्षेत्र में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस को मिली पराजय के बाद से संगठन के भीतर आत्ममंथन की प्रक्रिया चल रही है। कई नेता जो चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद संगठनात्मक दायित्वों से बाहर हैं, उन्हें लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। मालूम हो कि पूर्व विधानसभा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला, जिनकी पत्नी को 8 हजार से अधिक मतों से विजय मिली, उन्हें भी भितरघात के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने विश्वास जताया कि आगामी चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी बेहतर प्रदर्शन करेंगे और पार्टी की खोई प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करेंगे।