रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। नकली घी को लेकर देशभर में चल रहे विवाद का असर अब छत्तीसगढ़ के मंदिरों में भी देखा जा रहा है। आज से शुरू हो रहे नवरात्रि उत्सव के मद्देनजर कई मंदिरों ने घी के दिए जलाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य न केवल मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना है, बल्कि श्रद्धालुओं को भी शुद्धता के प्रति जागरूक करना है।

नवरात्रि के दौरान देवी पूजा में घी का विशेष महत्व होता है, लेकिन हाल ही में नकली घी को लेकर देशभर में फैले विवाद के चलते छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिरों ने इस साल घी के दिए नहीं जलाने का फैसला लिया है। रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर सहित कई मंदिरों में घी के ज्योत कलश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही मंदिर प्रबंधन ने यह सुनिश्चित किया है कि इस नवरात्रि में किसी भी प्रकार के घी का उपयोग नहीं किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु किसी तरह की शंका या असुविधा से बचे रहें।

महामाया मंदिर के अलावा, रायपुर के दंतेश्वरी मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों ने भी घी के ज्योत जलाने से इंकार कर दिया है। डोंगरगढ़ स्थित प्रसिद्ध बम्लेश्वरी माता मंदिर में वर्षों से शुद्धता का पालन करते हुए घी के ज्योति कलश जलाने की परंपरा नहीं है। यहां पूजा में शुद्धता और पवित्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, और इसी कारण मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि इस बार नवरात्रि में घी के बजाय अन्य विकल्पों का इस्तेमाल किया जाएगा।

नकली घी के कारण उपजी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, कई मंदिरों ने प्रसाद में भी घी का उपयोग बंद कर दिया है। इसके स्थान पर ऐसे प्रसाद का वितरण किया जाएगा, जिनमें घी की आवश्यकता नहीं है। जैसे पंचमेवा, मिश्री, नारियल, और फल जैसे शुद्ध और सरल सामग्री का उपयोग किया जाएगा। रायपुर के अलावा, छत्तीसगढ़ के अन्य प्रमुख और प्राचीन मंदिरों में भी इसी तरह की सख्ती बरती जा रही है, ताकि नवरात्रि का पर्व शुद्धता और धार्मिक भावनाओं के अनुरूप मनाया जा सके।

छत्तीसगढ़ के छोटे-बड़े मंदिरों के साथ ही प्रदेश के कई सिद्ध और प्राचीन मंदिरों ने भी नकली घी के विवाद को गंभीरता से लिया है और इस नवरात्रि के दौरान विशेष एहतियात बरतने का निर्णय लिया है। घी के दिए न जलाने वाले इन मंदिरों ने श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि वे मंदिरों के नियमों का पालन करें और शुद्धता को ध्यान में रखते हुए पूजा-अर्चना करें।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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