रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। नक्सलगढ़ में विकास की कवायद में तेजी लाने के लिए सरकार नई रणनीति पर अमल कर रही हैं। माओवाद प्रभावित इलाके में विकास की रफ्तार तेज करने के लिए छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र को जोड़ने वाली एक किलोमीटर लंबी पुल अब सुरक्षा बलों की तैनाती में कैमरे की नजर और हाई मास्ट लाइट की रोशनी में बनेगी। इसके लिए सेतु निगम ने कवायद शुरू कर दी है। बहुत जल्द अब बेदरे में पुल बनकर तैयार होगा। बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर बेदरे में दो साल पहले बीजापुर से महाराष्ट्र के नागपुर को जोड़ने के लिए 42 करोड़ रुपये की लागत से 1 किमी लंबी पुल का निर्माण शुरू किया गया है।

इस पुल पर 38 कॉलम खड़े किये जाने हैं। लेकिन नक्सल गतिविधि के चलते दो सालों में महज 8 कॉलम ही यहां खड़े हो पाए हैं। फरवरी में कार्य की समयावधि भी समाप्त हो रही है। इस पुल के निर्माण से जहां बीजापुर से सीधे महाराष्ट्र जुड़ जाएगा। वही, बीजापुर जिले के नदी पार के पंचायतें भी जुड़ जाएगी और वहां मुलभुल सुविधाएं ग्रामीणों को मिलने लगेगी। इस पुल निर्माण का ठेका अशोक मित्तल को दिया गया है।

वहीं, दूसरी ओर पुल के निर्माण के बाद से ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। बेदरे पुल के दूसरे छोर पर नुगुर व लंका गांव में बड़ी संख्या में जुटकर ग्रामीण इस पुल निर्माण का विरोध कर रहे हैं। बेदरे पुल का निर्माण पुलिस की सुरक्षा में लगातार करवाया जा रहा हैं। अब पुल के काम मे गति लाने सेतु विभाग रात में भी काम करवाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए बाकायदा विभाग सुरक्षा की दृष्टि से कार्य स्थल पर कैमरे और हाई मास्ट लाइट लगवाने की कवायद कर रहा है।

नक्सलवाद के कारण प्रभावित हुआ काम :
ब्रिज कॉर्पोरेशन के ईई बीएन खूंटे ने बताया कि क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए काम की गति को आगे बढ़ाया जा रहा हैं। खूंटे ने कहा विभाग अब नाइट में भी काम करवाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पहले कार्य स्थल पर कैमरे व हाई मास्ट लाइट लगवाने तैयारी की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इससे सुरक्षा भी होगी और काम में गति भी आएगी। फरवरी में काम का विस्तार कर लिया जाएगा। वहीं, कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने बताया कि बेदरे में बन रही पुल बीजापुर से महाराष्ट्र को जोड़ने का काम करेगी। साथ ही नदी पार के दर्जनों गांवों तक विकास पहुंचेगा। स्कूल, अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान नदी पार के गांव में खुलेंगे। ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा।

इंजीनियर का हुआ था अपहरण :
बेदरे पुल निर्माण का काम जिस कस्ट्रेक्शन कंपनी को दिया गया है। उस कंपनी के साइड इंजीनियर अशोक पवार व उनके एक सहयोगी जब साइड पर काम करा रहे थे तभी उन्हें नक्सली अगवा कर ले गए थे। परिजनों की अपील व मीडिया की दखल के बाद सातवें दिन नक्सलियों ने उन्हें छोड़ दिया था। इसके बाद से ही पुल का काम धीमा पड़ गया। पुल के निर्माण का विरोध अभी भी जारी है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.