रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के बालोद जिले में श्रम विभाग वाले मामले में जांच के बाद उक्त कर्मचारी को दोषी पाया गया है। वहीं पिछले सप्ताह हड़ताल के बीच ही उक्त कर्मचारी ने इस्तीफा भी दे दिया। इस मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दी और श्रम विभाग की एक भ्रष्ट कड़ी को सभी के सामने रख दिया। बालोद जिले में श्रम विभाग मामले में जांच के बाद प्रदेश के सभी जिलों में श्रम विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच डर का माहौल है ऐसा सूत्र कह रहें हैं।
चॉइस सेंटर से दे रहा था घटना को अंजाम, प्रदेश के सभी जिलों में श्रम विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों और सभी चॉइस सेंटरों में दहशत :
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालोद जिले में श्रम विभाग में काम करने वाला उक्त कर्मचारी का एक चॉइस सेंटर भी था, जिससे वह इस प्रकार की भ्रष्ट घटनाओं को अंजाम दे रहा था और शासन की योजनाओं का लाभ उठा रहा था। श्रम विभाग की कार्यवाही और जांच आदेश के बाद से इस प्रकार का फर्जी काम करने वाले चॉइस सेंटरों और प्रदेश के सभी जिलों में श्रम विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच एक डर का माहौल बना हुआ है, कि “कब किस बिल्ली के गले की घंटी उतर जाए।”
अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल ने तत्परता से दिए थे जांच के आदेश :
छत्तीसगढ़ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) सुशील सन्नी अग्रवाल की भी इस मामले में अहम भूमिका रही, उन्होने शिकायत के तुरंत बाद ही जांच के निर्देश दे दिए थे। दरअसल, द मीडिया पॉइंट की टीम द्वारा इस मामले में अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल से चर्चा की गई जिसमे उन्होने मामले को सुनने के बाद तत्परता दिखाते हुए तत्काल जांच के निर्देश दिए और जांच सही पाए जाने पर कानूनी कार्यवाही के भी निर्देश दिए। अध्यक्ष सन्नी अगवाल ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य हितग्राहियों को योजना का लाभ देना है और सही व्यक्तियों को श्रम विभाग की योजना का लाभ मिले इसके भी निर्देश हमने दे दिए हैं। उन्होने आगे कहा कि इस प्रकार की घटना प्रदेश में दोबारा न हो इस पर भी ध्यान दिया जाएगा और तत्काल भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी पर कार्यवाही की जाएगी।