रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी को बहुत उम्मीदें है। 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद कुछ ही महीनों बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश की 29 में से 28, छत्तीसगढ़ की 11 में 9 और राजस्थान की 25 में से सभी 25 (आरएलपी के साथ) सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लेकिन आज इन तीनों राज्यों के बीजेपी सांसद डरे हुए हैं, अंदर से बेचैन हैं। सबसे ज्यादा वो सांसद डरे हुए हैं जो दो या दो से ज्यादा टर्म से लोकसभा का चुनाव जीत रहे हैं या फिर मोदी सरकार में मंत्री हैं।

दरअसल बीजेपी के मध्य प्रदेश फॉर्मूले ने सबको अंदर से डरा दिया है। बीजेपी ने मध्य प्रदेश में अपने 3 केंद्रीय मंत्रियों सहित 7 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। पार्टी 3 और सांसदों को मध्य प्रदेश में उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी राजस्थान में भी 7 के लगभग सांसदों को विधानसभा का उम्मीदवार बना सकती है जिसमें राजस्थान से केंद्रीय मंत्री भी शामिल है।

वहीं छत्तीसगढ़ में भी रमन सिंह को किनारे करने और दिग्गज नए चेहरों को उतारने की रणनीति के तहत कई सांसदों को एमएलए का टिकट थमाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, एमएलए का टिकट पाने वाले या टिकट पाने की संभावित लिस्ट में शामिल सांसदों की समस्या भी बड़ी अनोखी है। उन्हें जीत-हार से बड़ी चिंता इस बात की सता रही है कि वो चाहे जीते या हारे, दोनों ही सूरतों में दिल्ली की राजनीति से उनकी विदाई लगभग तय ही है।

सांसदों को सता रहा डर :
सांसदों को यह डर सता रहा है कि अगर वो विधायक का चुनाव भी हार गए तो फिर उनकी लोकप्रियता पर सवाल उठेंगे और पार्टी उन्हें लोकसभा का टिकट भी नहीं देगी यानी चुनावी राजनीतिक करियर पर ब्रेक सा लग जाएगा और अगर वो चुनाव जीत भी गए तो उस सूरत में भी लोकसभा चुनाव में पार्टी नए चेहरे को बढ़ावा देने की रणनीति के तहत उन्हें विधानसभा में ही बने रहने को कहकर लोकसभा में किसी और को टिकट दे सकती है। यानी दोनों ही सूरतों में दिल्ली की राष्ट्रीय राजनीति से बिछड़ने का खतरा बना हुआ है और यही चिंता इन सांसदों को खाए जा रही है।

इन चुनावी राज्यों के सांसद सोच रहे थे कि अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाएंगे, प्रचार करेंगे और इसी बहाने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उनकी भी तैयारी हो जाएगी। पर अब इन सांसद की हालत आगे कुआं और पीछे खाई जैसी हो गई है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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