रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व के मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम गृहमंत्री विजय शर्मा ने अब छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली में उर्दू और फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह सरल हिंदी शब्दों को जोड़ने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.

इस पत्र के माध्यम से विजय शर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस अपनी लिखी पढ़ी और बोलचाल में उर्दू और फारसी शब्दों की जगह सरल हिंदी और छत्तीसगढ़ी शब्दों का प्रयोग करें ताकि आम जनता और पीड़ित को पुलिस की कार्यप्रणाली सही रूप से समझ सके.

उर्दू शब्दों को प्रयोग नहीं करने का लिया था निर्णय : आजादी के पहले अंग्रेजों के समय पुलिस विभाग में प्रयोग में लिए जा रहे हैं, कई शब्द आम लोगों को समझ में नहीं आते हैं इसलिए समय के अनुरूप इन्हें बदलना आवश्यक है. छत्तीसगढ़ के पहले पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में भी पुलिस ने अपनी कार्यप्रणाली में उर्दू शब्दों को प्रयोग नहीं करने का निर्णय लिया था, वहां भी पुलिस बोलचाल में 69 शब्दों का प्रयोग बंद करके सरल हिंदी शब्द जोड़े थे. सूत्रों की माने तो उर्दू और फारसी के 400 शब्दों को फिलहाल चिन्हांकित किया गया है जिन्हें शुरुआती दौर में बदला जाना है.

शब्दों में बदलाव के बाद देखने को मिल सकते हैं कई अंतर :

छत्तीसगढ़ पुलिस अब किसी को पकड़ेगी तो उसे गिरफ्तारी नहीं बताएगी. अब राज्य पुलिस कहेगी हिरासत या अभिरक्षा में लिया गया है. जबकि सेंधमारी चोरी जैसी घटना को नकबजनी के जगह तरह नकबजनी के जगह गृहभेदन या सेंधमारी लिखा जाएगा. तो वहीं चश्मदीद गवाह को अब प्रत्यक्षदर्शी या साक्षी कहा जाएगा. अब तक यूपी समेत कई प्रदेशों में आपने सुना होगा कि शहरों,सड़को, स्टेशनों के नाम बदले जा रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर पुलिस कुछ उर्दू,फारसी शब्दों को हटाने की तैयारी कर रही है.

ऐसे कुछ शब्द जो पुलिसिया दस्तावेज में उपयोग होते हैं. शब्द और उनके मतलब इस प्रकार हैं.

इस्तगासा- दावा, परिवाद

इरादतन – साशय

कब्जा- आधिपत्य

कत्ल/कातिल/कातिलाना – हत्या,वध/हत्यारा/प्राण-घातक

गुजारिश – प्रार्थना, निवेदन

गिरफ्तार/हिरासत – अभिरक्षा

मुचलका- व्यक्तिगत पत्र

आम- सामान्य दैनिक

रोजनामचा खास- अपराध दैनिक

सफीना – बुलावा पत्र

हाजा – स्थान अथवा परिसर

अदम तामील- सूचित न होना

अदम तकमील- अंकन न होना

नकबजनी – गृहभेदन, सेंधमारी

चश्मदीद गवाह – प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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