बिलासपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। पति-पत्नी के संबंधों में खटास के बाद पति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की गुहार लगाई थी। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क को सुनने के बाद डिविजन बेंच ने पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी है। तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए डिविजन बेंच ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि एक ही छत के नीचे साथ रहने के बावजूद बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी द्वारा घर के अलग कमरे में सोना भी पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। डिविजन बेंच ने बेमेतरा के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
विवाद के बाद पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हो गई फिर कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इन्कार कर दिया। इस पर स्वजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई। कोई हल नहीं निकला और सुलह भी नही हुआ। मनमुटाव के चलते पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे।
पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री के लिए फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद डिविजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ पत्नी की याचिका खारिज कर दी है।