धमतरी। गुलशन कुमार। प्रदेश के धमतरी जिले में अवैध ईंट भट्ठों पर जिला प्रशासन नकेल कसने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। सड़क के किनारे से लेकर जंगल के अंदरूनी इलाके में तक इन भट्ठों की आग सुलग रही है। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर प्रदेश भर में बवाल के बीच अवैध भट्ठों की आंच को अनदेखा किया जा रहा है। इन भट्ठों की आंच से शासन को लाखों का राजस्व तो झुलस रहा है, साथ ही रायल्टी जमाकर ईंट का व्यवसाय कर रहे लोगों को भी तगड़ा नुकसान हो रहा है।
तेजी से फल फूल रहे इस अवैध कारोबार में अवैध कटाई, रेत भी बड़े पैमाने पर खपाएं जा रहें हैं। लेकिन लाल ईंट के इस काले कारोबार पर नकेल कसने के लिए खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अब भी तैयार नहीं हैं।

खनिज विभाग के रिकार्ड के मुताबिक जिले में इस वक्त कुछ ईट भट्ठों का संचालन के लिए आवेदन आए हैं लेकिन अनुमति नहीं है, लेकिन विभाग के पास अवैध भट्ठों का कोई रिकार्ड नहीं है। आश्चर्य की बात है कि रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए भाग दौड़ कर रहें खनिज और राजस्व विभाग के अधिकारियों को ये ईंट के भट्ठे नजर नहीं आ रहें हैं। शहर के आसपास की बात करें तो शहर से लगे गांव के सड़क किनारों पर ईट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। इन अवैध भट्ठों पर कार्रवाई करने में खनिज विभाग के अधिकारी तनिक भी रूचि नहीं ले रहे हैं। जानकारी मुताबिक शहर एवं शहर से लगे ग्रामों में कोलियरी, अमेठी, दर्री, खरेंगा,अछोटा, भोयना , मुड़पार, मथुरा डीह,देवपुर,दोनर, गंगरेल, मरादेव, आमदी, पोटियाडीह, जवरगांव, लीलर, अरौद, मगरलोड, बुडेनी, करेली , गाड़ा डीह, मंदरौद, सिरसीदा, परेवाडीह, कलापफोड़ी, नवागांव, ठेकला, भाटागांव, परखंदा,इनके अलावा और भी गांवों में अवैध रूप से ईंट का भट्ठा सजा हुआ है, बावजूद इसके खनिज विभाग कुम्भकरणीय नींद में है यह समझ से परे.
लाल ईंटों का इस्तेमाल है प्रतिबंधित :
पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट के आदेश अनुसार शासन के सभी शासकीय निर्माण कार्यों में फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग किया जाने का सख्त निर्देश दिया है। बावजूद इसके अवैध कारोबारी पर्यावरण को क्षति करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बहरहाल मामले पर प्रशासन क्या कार्यवाही करती है यह देखने का विषय है.?.?.?.?.