मुंगेली, कुणाल सिंह ठाकुर। जिले में  कलेक्टर कुन्दन कुमार के मार्गदर्शन में “मोर गाँव–मोर पानी” महाअभियान के अंतर्गत जल संरक्षण एवं भू-जल स्तर सुधार की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं। जनसहभागिता को केंद्र में रखकर ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक श्रमदान से बोरी बंधान निर्माण किया जा रहा है, जिससे वर्षा जल को नालों में बहने से रोककर स्थानीय स्तर पर संरक्षित किया जा सके। बरसात से पूर्व जिले की तीनों जनपद पंचायतों लोरमी, मुंगेली एवं पथरिया में कुल 121 चिन्हित स्थलों पर श्रमदान के माध्यम से बोरी बंधान बनाए गए हैं। इन संरचनाओं से न केवल वर्षा जल संचयन में वृद्धि हुई है, बल्कि भू-जल रिचार्ज, मृदा संरक्षण एवं खेतों में नमी बनाए रखने में भी मदद मिल रही है। प्रशासन द्वारा अन्य उपयुक्त स्थलों की पहचान कर ग्रामीणों को आगे आकर श्रमदान हेतु प्रेरित किया जा रहा है।गिरते भू-जल स्तर से निपटने के लिए व्यापक प्रयास     

जिले के 168 गांवों में भू-जल स्तर 200 फीट तक नीचे चले जाने से पेयजल संकट की स्थिति बन रही है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप कलेक्टर कुन्दन कुमार एवं जिला सी.ई.ओ. प्रभाकर पांडेय के मार्गदर्शन में “मोर गाँव–मोर पानी” महाअभियान की शुरुआत की गई है, ताकि वर्षा जल का अधिकतम संरक्षण गांवों में ही किया जा सके।महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत सैंड फिल्टर, आजीविका डबरी, सोखता गड्ढा, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप गड्ढा, वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाएं एवं भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसे कार्यों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन कार्यों के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार अभियान भी चलाया गया।जल पंचायत समिति और ग्रामीणों की सक्रिय भूमिका     

प्रत्येक ग्राम पंचायत में गठित जल पंचायत समिति, महिला स्व-सहायता समूहों, ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की गई है। संगोष्ठियों के माध्यम से गिरते जल स्तर के कारणों—अत्यधिक दोहन, जल निकासी की कमी, वर्षा जल संचयन का अभाव एवं वनों की कटाई—पर चर्चा की गई।ग्रामीणों को खेत-तालाब निर्माण, पारंपरिक जल स्रोतों के पुनर्जीवन एवं घरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग संरचनाएं बनाने के लिए प्रेरित किया गया। GIS टूल्स के माध्यम से भू-जल स्थिति की जानकारी देकर वॉटर बजटिंग की अवधारणा से भी अवगत कराया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।आजीविका डबरी से बढ़ेगी ग्रामीणों की आय:अभियान के अंतर्गत 600 इच्छुक लाभार्थियों का चयन आजीविका डबरी निर्माण हेतु किया गया है। इन डबरियों से सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन एवं दलहन-तिलहन खेती के माध्यम से प्रति परिवार लगभग एक लाख रुपये तक की अतिरिक्त आय सृजित होने की संभावना है, जिससे ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भर बन सकेंगे।     

कलेक्टर ने कहा कि “वर्तमान समय में जल संरक्षण सबसे बड़ी आवश्यकता है। ‘मोर गाँव–मोर पानी’ अभियान के माध्यम से जनसहभागिता के साथ भू-जल स्तर सुदृढ़ करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है।” जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि “जब समुदाय स्वयं जल संरक्षण की जिम्मेदारी निभाता है, तब उसके परिणाम दीर्घकालिक और प्रभावी होते हैं।”     

समग्र रूप से “मोर गाँव–मोर पानी” अभियान प्रशासन, समुदाय और आधुनिक तकनीकों के समन्वय से जल संरक्षण का एक अनुकरणीय मॉडल बनकर उभर रहा है, जो भविष्य में जिले को जल-सुरक्षा की दिशा में मजबूती प्रदान करेगा।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.