नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। मोदी सरकार के एक बेहद चौंकाने वाले कड़े फैसले यानी नोटबंदी (Demonetisation) को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज(2 जनवरी) फैसला सुना सकती है। इसके खिलाफ 58 याचिकाएं लगाई गई थीं। 8 नवंबर 2016 के दिन रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में नोटबंदी का एलान किया था। इसमें 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया था। यानी ये करेंसी प्रचलन से बाहर हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 7 दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले से जुड़े रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।
जानिए नोटबंदी से जुड़ीं ये महत्वपूर्ण बातें :
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम, श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर रोकथाम के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया था। हालांकि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जहां नोटबंदी की गई थी। दुनिया के कई देशों में दशकों पहले अर्थव्यवस्था में सुधार, कालेधन पर रोक जैसे कई कारणों से डिमॉनेटाइजेशन या विमुद्रीकरण (Demonetisation) जैसे कदम उठाए जा चुके हैं। डिमॉनेटाइजेशन सबसे पहले अमेरिका में 149 वर्ष पूर्व हुआ था।
इससे पहले नोटबंदी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 12 अक्टूबर, 2022 को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने दोनों से पूछा था कि 1000 और 500 के नोट को किस कानून का इस्तेमाल कर बंद किया गया था? नोटबंदी को लेकर दाखिल याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। इस पीठ में जस्टिस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना शामिल रहे।
चिदंबरम ने कोर्ट को बताया कि 1978 में विमुद्रीकरण एक अलग कानून द्वारा किया गया था। 2016 में 86.4 फीसदी लीगल टेंडर को अवैध कर दिया गया था। आरबीआई अधिनियम की धारा 26 केवल किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की किसी विशेष श्रृंखला के विमुद्रीकरण से संबंधित है, न कि सभी श्रृंखला के बैंक नोटों से। सभी श्रृंखला के बैंक नोटों के विमुद्रीकरण के लिए अलग कानून की आवश्यकता होती है। वैसे कहा जा रहा है कि नोटबंदी के बाद से देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका है। जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, तब 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपए का कैश था। वहीं, अक्टूबर,2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपए बताया गया था।