बस्तर/रायपुर। द मीडिया पॉइंट। छत्तीसगढ़ के बस्तर में अंदरोनी गावों में हजारों आदिवासियों आंदोलन पर उतर गए हैं। आदिवासी शासन और प्रशासन का विरोध कर रहे हैं। आदिवासियों का आरोप है की पुलिस के ड्रोन से आदिवासी महिलाओं के नहाते हुए वीडियो भी शूट किए जाते हैं। पुलिस सुरक्षा और नक्सल मूमेंट के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करती है लेकिन उसी ड्रोन से महिलाओं को नहाते हुए भी वीडियो बनाए जाते हैं। जिसके विरोध में बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं भी शासन और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन में उतर गई हैं।

आदिवासियों का कहना है की पुलिस के ड्रोन से उनके समाज की महिलाओं को नहाते हुए वीडियो बनाकर देखती है। आदिवासी गावों में कोई पक्का या बंद बाथरूम नहीं होता है। महिलाएं जंगल और नदी की किनारे नहाती हैं। पुलिस की कार्यशैली से नाराज हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग अब धरना देने लगे हैं। आदिवासी समाज का कहना है कि ड्रोन उड़ाना उनकी निजता के अधिकार का हनन किया जा रहा है।

नक्सल मूवमेंट पर नजर रखती है पुलिस :
ड्रोन से पुलिस नक्सल मूवमेंट की जानकारी हासिल करती है। लेकिन महिलाओं के आरोप है कि ड्रोन के सहारे हमारे नहाते के वीडियो बनाए जा रहे हैं। पुलिस वाले इन वीडियो को देखते हैं। सुकमा में सिंगारम, गोमपाड़ और बीजापुर के पुसनार , बुर्जी और सिलगेर, सारकेगुड़ा, बृहबेदा, सोनपुर एडसमेटा, कुतुल, बेचा घाट अभुजमाड जैसे बड़े आंदोलन के बाद अब इंद्रावती के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन पर उतर आए हैं।

सात मांगों को लेकर प्रदर्शन :
प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों ने शासन से 7 मांगें की है। आदिवासियों का कहना है कि पेसा नियम 2022 को रद्द करें। सरकारी, गैर सरकारी नौकरियों में 32 फीसदी आरक्षण आदिवासियों को मिले। हमें सड़क, पुलिया, पुलिस कैंप नहीं चाहिए। हमें मूलभूत सुविधा शिक्षा, अस्पताल, आंगनबाड़ी पीने का पानी चाहिए। आदिवासी इलाकों में बिना ग्रामसभा की अनुमति के कोई काम नहीं हो। वन संरक्षण अधिनियम 2022 को रद्द करो। पुलिस के ड्रोन से उनके समाज की महिलाओं को नहाते हुए वीडियो बनना बंद करें।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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