रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश में चुनावी साल के मद्देनजर नेताओं और पार्टियों के साथ-साथ सभी प्रकार के प्रेस (न्यूज़) कंपनियों ने भी अपनी कमर कस ली है। चारो तरफ फंड के जुगाड़ में किसी न किसी नेता, अधिकारी या व्यापारी का न्यूज़ के माध्यम से गला दबाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
इसी संबंध में विगत दिनों एक ताजा मामला सामने आया है। एक निजी वेब (न्यूज़) पोर्टल द्वारा शासन, अधिकारी और कंपनी की छवि धूमिल करने का भरपूर प्रयास किया गया। मामला छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग से जोड़कर आईएएस अंकित आनंद और कंपनी का नाम उछाला जा रहा है। कंपनी ने इस खबर का खंडन किया है।
दरअसल, उत्पादन कंपनी को आवंटित कोयला खदान गारे पेलमा सेक्टर तीन से लगभग 55 लाख टन उत्खनित कोयले को खदान से नजदीकी रेलवे साइडिंग तक सड़क मार्ग से परिवहन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए खुली निविदा का आमंत्रण दिनांक 03/11/2022 को एम. एस.टी.सी. ( केन्द्र शासन का एक उपक्रम) के माध्यम से जारी किया गया।
निविदा की शर्तों के निर्धारण से लेकर निविदा को अंतिम स्वीकृति तक के कार्यों के निष्पादन के लिए छ सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस निविदा में बृहद रूप से भागीदारी के लिए ज्वाईट वेंचर को भी अवसर प्रदान किया गया था और ठेकेदारों के आवेदन पर निविदा खुलने की निर्धारित तिथि 02/12/2022 को बृद्धि कर 16/12/2022 किया गया।
इसके बाद कुल चार निविदाएं प्राप्त हुई। प्राप्त निविदा की तकनीकी एवं वाणिज्यिकीय परीक्षण उक्त समिति के द्वारा किया गया, जिसमें दो निविदाएं निविदा शर्तों के अनुरूप पाई गई। दिनांक 16/01/2023 को प्राईज बिड खोली गई। निविदा के शर्तों के अनुरूप रिवर्स बिडिंग, दिनांक 19/01/2023 को एम.एस.टी.सी. के वेब पोर्टल के माध्यम से कराई गई । तत्पश्चात् न्यूनतम बोलीदार से समिति के द्वारा दिनांक 23/01/2023 और 24/01/2023 को टेक्नो कमर्शियल चर्चा कर दरों को कंपनी के व्यापक हित में कम कराया गया । फलस्वरूप निविदा की अनुमानित लागत लगभग रु. 310 करोड़ का आकलन है।
इस तारतम्य में विदित हो कि न्यूनतम बोलीदार से अंतिम दर के औचित्य के प्रतिपादन के लिए अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु कहा गया है। अतः इस स्थिति में निविदा के संबंध में आदेश इत्यादि प्रसारित नहीं किए गए हैं।
उपरोक्त तथ्यों से यह विदित है कि वेब पोर्टल पर प्रकाशित समाचार जिसमें काल्पनिक रूप से आंकड़ों को दर्शाया जाना जैसे 500 करोड़ की निविदा को 1000 करोड़ की लागत की जानकारी सर्वथा मिथ्या तथ्यों से परे व भ्रामक है जो कि कंपनी की छबि को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है।
बता दें, अब इस मामले पर आगे की कार्यवाही की जा रही है।