सूरजपुर/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। कई बार कुछ लोग छोटी-छोटी समस्याओं से हार मान जाते हैं। मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इन समस्याओं को अपना हथियार बना लेते हैं। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां एक सहायक प्रोफेसर ने मिसाल कायम की है। जन्म से ही नेत्रहीन होने के बावजूद इन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि यदि आप में दृढ़ संकल्प है तो कोई भी बाधा आपको मंजिल पाने से नहीं रोक सकती है। आज हम आपको ऐसे ही प्रोफेसर से मिला रहे हैं जो समाज के लिए तो एक मिसाल है। वो अपने हुनर से बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं।

जन्म से नेत्रहीन हैं बुधलाल :
बुधलाल, सूरजपुर के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर हैं। यह अन्य प्रोफेसरों की तरह सामान्य इंसान नहीं हैं। ये जन्म से ही नेत्रहीन हैं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना ली। उन्होंने अपनी नेत्रहीनता को अपनी ताकत बनाया और अपनी पढ़ाई पूरी की।

बचपन में हो गई थी पिता की मौत :
बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। गांव में एक गरीब मां के साथ नेत्रहीन बच्चे की जिंदगी आसान नहीं होती है। लोग बुधलाल उसकी मां को भीख मांग कर गुजारा करने की सलाह दिया करते थे। उनके जीवन में कई समस्याएं आईं लेकिन इन्होंने सभी चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने कहा कि मैंने बहुत सी असुविधाओं का समाना किया। उन्होंने कहा कि मैं जब पांचवी में था तक गांव के लोग सलाह देते थे कि भीख मांगकर गुजारा करो।

पढ़ाई छोड़ने की सलाह देते थे ग्रामीण :
बुधलाल ने बताया कि गांव में लोग अच्छी और बुरी दोनों सलाह देते थे। लोग कहते थे कि बच्चे की पढ़ाई छोड़कर गाना गाना सीख लो। ट्रेन में या कहीं भी भीख मांगकर गुजारा हो जाएगा। इस सलाह से मां कभी-कभी परेशान भी होती थी। मगर मेरी इच्छा पढ़ाई करने की थी। 10वीं तक मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना है, मैं केवल अपने विकास के लिए पढ़ता था।

2007 में बदल गई जिंदगी :
उन्होंने बताया कि 2007 में जब मैं दसवीं कक्षा में था तब मेरी जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट आया। मेरे पास समोसा खाने के लिए दो रुपए भी नहीं थे। जिसके बाद मुझे एहसास हुआ की मुझे भविष्य में नौकरी करनी पड़ेगी। उसके बाद मैंने नौकरी को लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करना शुरू कर दिया।

आज लोगों के लिए बने मिसाल :
बुधलाल आज दूसरों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। आज बुधलाल अपनी जिंदगी सामान्य रूप से जी रहे हैं। उनके परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे हैं। वहीं, छात्रों का कहना है कि बुधलाल सर अन्य प्रोफेसर की तरह ही सामान्य रूप से पढ़ाते हैं। उनकी जिंदगी छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत भी है। छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ ही जिंदगी में चुनौतियों से लड़ने की भी तालीम मिलती है। सभी छात्र बुधराम का काफी सम्मान करते हैं।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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