बालोद/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। कल 31 मार्च को रमजान महीने का दूसरा जुमा था। बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के पवित्र महीने रमजान की शुरुआत 24 मार्च 2023 से हो चुकी है और 25 मार्च को रमजान के पहले जुमा के दिन से ही रोजा रखा गया था। वहीं कल 31 मार्च को रमजान का दूसरा जुमा था, बालोद जामा मस्जिद में नमाजियों/रोजदारों ने जुमा की नमाज पढ़ी और अल्लाह की बारगाह में दुआ मांगी।
इस्लाम में जिस तरह रमजान महीने को पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है, उसी तरह से इस्लाम में जुमा के दिन के नमाज को भी अन्य दिनों की अपेक्षा महत्वपूर्ण माना जाता है। रमजान महीने में रोजेदारों में भी जुमा की नमाज को लेकर खास उत्साह देखने को मिलता है। रमजान के जुमा नमाज के लिए मस्जिदों में आबाद की जाती है और रोजेदार सिर झुकाकर अल्लाह की बंदिगी करते हैं।
इस्लाम में जुमा की नमाज का महत्व :
वैसे तो इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं। लेकिन जुमा की नमाज और खासकर रमजान में जुमा की नमाज को बहुत ही खास माना गया है। हदीस शरीफ में जुमे की नमाज को लेकर कहा गया है कि, हजरत आदम अलैहिस्सलम को जुमे के दिन ही जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया था और जन्नत में उनकी वापसी भी जुमे के दिन ही हुई थी। इतना ही नहीं अल्लाह ने उनकी तौबा भी इसी दिन कुबूल की थी। यह भी मान्यता है कि जुमे की नमाज पढ़ने वाले की पूरे हफ्ते की गलतियों को अल्लाह माफ कर देते हैं। यही कारण है कि इस्लाम में जुमे के दिन को शुभ माना गया है और जुमे की नमाज का खास महत्व होता है।
इस बार 5 जुमे का होगा रमजान :
इस बार रमजान के महीने में 5 जुमा यानी शुक्रवार पड़ेंगे। ऐसा संयोग पूरे 5 पांच साल बाद बना है, जब रमजान का महीना 5 जुमे का होगा। रमजान का पहला जुमा 25 मार्च को था। कल 31 मार्च को दूसरा जुमा, 7 अप्रैल को तीसरा जुमा, 14 अप्रैल को चौथा जुमा और 21 अप्रैल को रमजान का आखिरी यानी अलविदा जुमा होगा।