लखनऊ/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। साबरमती जेल से प्रयागराज की नैनी जेल लाए जाने के दौरान पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद ने बुधवार को यह नया दांव चला। उसने मीडिया से कहा कि “मेरी माफियागीरी तो पहले खत्म हो गई थी, हमारे परिवार को मिट्टी में मिला दिया और अब रगड़ा जा रहा है। हमारा परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया है। उमेश पाल की हत्या हम कैसे कर सकते हैं, हम तो जेल में बंद थे। मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। असद के बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेरे परिवार को दूर रखें, औरतों और बच्चों को परेशान न करे।”
बुधवार को पूरे दिन अतीक अहमद के इस कथन को प्रचारित किया गया। तो यह सवाल उठा कि आखिर 44 सालों से अपराध की दुनिया में सक्रिय अतीक अहमद के इस कथन के क्या मायने हैं? क्या योगी सरकार के एक्शन से अब उसे डर लगने लगा है? या उसने अपने निजी और राजनीतिक फायदे के लिए यह बयान दिया है?
डिफेंसिव टैक्टिक्स है :
यह जानने के लिए प्रदेश पुलिस में जिम्मेदार पदों पर रहे अधिकारियों और लखनऊ के प्रतिष्ठित अखबारों के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकारों से बात की तो सभी ने अतीक के बयान को उसका सिंपैथी गेन करने का नया पैतरा (दांव) बताया। योगी सरकार में यूपी के पुलिस महानिदेश (डीजीपी) रहे सुलखान सिंह तो अतीक अहमद के कथन को उसकी डिफेंसिव टैक्टिक्स बताते हैं। वह कहते हैं, योगी सरकार द्वारा अतीक के साम्राज्य को नष्ट करने के लिए जो एक्शन किया जा रहे है, उसे डाइवर्ट करने के लिए ही अतीक ने यह बयान दिया है। यही नहीं अपने कथन के जरिए अतीक ने जहां अपनी जान बचाने का दांव चला है, वहीं योगी सरकार से अपने परिवार के लिए दया दिखाने की अपील भी कर डाली है और यह बताने का प्रयास किया है कि रूल ऑफ लॉ को इंपोज करने वाली योगी सरकार उसका और उसके परिवार का नुकसान कर सकती है, जबकि ऐसा है नहीं।
सूबे की सरकार तो उसके किए को उजागर कर उसे कानून के जरिए सजा दिलाने का प्रयास कर रही है, लेकिन पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके अतीक अहमद ने अपना राजनीतिक दिमाग चलाते हुए अपने फायदे के लिए यह बयान दे डाला है और यह बयान उस दिन दिया गया जब ईडी के अफसरों ने अतीक और उसके करीबियों के 15 ठिकानों पर छापे मारे। ऐसे में अतीक ने पब्लिक की सिंपैथी हासिल करने के लिए सटीक समय पर यह बयान दिया है। इसलिए उसके जाल में फंसने के बजाए पुलिस को अपना कार्य करना चाहिए और वह मीडिया को ऐसे बयान न दे सके, इसपर ध्यान देना चाहिए।
अतीक अब दया की भीख मांग रहा :
यूपी के डीजीपी रह चुके जाविद अहमद भी सुलखान सिंह के तर्को से सहमत हैं। वह कहते हैं कि महज 17 साल की उम्र में एक तांगे वाले के बेटे अतीक ने अपराध की दुनिया से जो नाता जोड़ा वह अभी खत्म नहीं हुआ है। अगर उसे सत्ता का संरक्षण नहीं मिलता तो वह इतना बड़ा माफिया सरगना और नेता नहीं बन पाता। अभी भी उसके चाहने वालों ने उससे पूरी तरह नाता नहीं तोड़ा है। जबकि प्रदेश पुलिस उसकी मदद करने वाले हर शक्स के खिलाफ एक्शन ले रही हैं। अब इसी एक्शन को रोकने के लिए अतीक ने दया की भीख मांगी है, कहा है, “मेरे परिवार की औरतों और बच्चों को परेशान न करें।” वास्तव में अतीक अपने कथन के जरिये यह बताना चाहता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा वाले बयान के बाद उसके खिलाफ पुलिस की कार्रवाई की इंतहा हो चुकी है। पुलिस के एक्शन से उसके सारे पत्ते, मोहरे और साथी छिन गए हैं, अब पुलिस दया दिखाए।