कांकेर/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश का मछलीपालन विभाग इन दिनों खूब सुर्ख़ियों में बना हुआ है। वह इसलिए क्योंकि इस विभाग में शासकीय राशि गबन का अनोखा खेल जो चल रहा है। अब मछलीपालन विभाग के पुराने पाप भी निकल कर सामने आ रहें हैं। अब एक और नया मामला, मतलब लोगों की नज़रों में नया लेकिन विभाग अनुसार पुराना मामला निकलकर सामने आया है। मामला है मछलीपालन विभाग का जिसके तार कांकेर जिले से जुड़े हुए है।

कांकेर जिले के मछलीपालन विभाग के ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) द्वारा किए गए करोड़ों रूपए के तालाब सब्सिडी की राशि में हेर फेर का मामला अब सुर्ख़ियों में आ रहा है। बात है वित्तीय वर्ष 2019-20 की। वित्तीय वर्ष 2019-20 में कांकेर जिले के ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) रहे सुदेश साहू ने अपने समय में करीब 3 करोड़ रूपए की हेराफेरी की है। जी हाँ, यह करोड़ो रूपए तालाब खुदाई के नाम से गबन किए गए है। इतना ही नहीं उस वक्त कांकेर जिले के कलेक्टर द्वारा कार्यवाही किए जाने का पत्र लिखने के बावजूद विभागीय अधिकारियों के मेहरबानी से अबतक इनपर किसी भी प्रकार की एफआईआर नहीं हुई है।

जाने पूरा मामला :
दरअसल, कांकेर जिले के तत्कालीन ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू, FO (मतस्य अधिकारी) और एक बाबू ने मिलकर करीब 3 करोड़ शासकीय रूपए डकार लिए। जितने तालाब जिले में है भी नहीं उनमे खुदाई के नाम से शासकीय राशि का गबन इनके द्वारा किया गया। एक प्रतिष्ठित अखबार में मामला छपने के बाद ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू पर जांच बिठाई गई, जबकि उस वक्त कलेक्टर द्वारा एफआईआर के लिए निर्देशित किया गया था। जांच बिठाने के बावजूद अबतक इस मामले में जांच का निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। और अब ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू का नाम लोक सेवा आयोग (PSC) में प्रमोशन के लिए भेजा गया है।

मछलीपालन विभाग अनुसार 2020 से अबतक चल रही जांच :
बता दें, ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू पर जो जांच चल रही थी वह अबतक कागजों में चल ही रही है। मामले को 3 वर्ष पूर्ण होने के बावजूद जांच समिति ने अभीतक किसी भी प्रकार से ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू को उक्त मामले में दोषी नहीं ठहराया है। वो विभागीय जांच 2020 से आज दिनांक 2023 सितंबर तक पूर्ण नहीं हुई है। जांच अभीतक अधूरा है। इतना ही नहीं मछलीपालन विभाग ने जिले के कलेक्टर की बात को भी दरकिनार कर दिया और अबतक इनपर एफआईआर की कार्यवाही भी नहीं की।

कलेक्टर के पत्र के बावजूद नहीं हुई एफआईआर :
ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू जिसका कांकेर में तालाब खुदाई में सब्सिडी की राशि में गबन का मामला था, उस मामले में कलेक्टर ने लगातार डायरेक्टर को पत्र लिखा। पत्र में एफआईआर करने की कार्यवाही की जाए, ऐसा साफ़-साफ़ लिखे जाने के बावजूद अबतक किसी भी प्रकार की प्रथम सुचना रिपोर्ट इनपर दर्ज नहीं की गई।

इस मामले को 3 साल होने के बाद भी जांच अधूरी है, वहीं प्रमोशन के लिए अधिकारी का डीपीसी के लिए PSC में चला गया नाम :
जैसा कि हमने बताया कि उक्त ADF (जिला विभाग प्रमुख) द्वारा जितने तालाब खुदे नहीं उतना शासकीय कागजों में दर्शा कर सब्सिडी राशि में गबन किया गया है। इस मामले में 3 साल से अभितक जांच ही चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अब यह बात निकलकर सामने आ रही है कि उक्त ADF के प्रमोशन में कोई बाधा ना आए इसलिए विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा जांच को जल्द से जल्द खत्म करने का कार्य शुरू हो चुका है। नियामुसार जबतक जांच चल रही है तबतक ना ADF का प्रमोशन हो सकता है, ना ही उसे किसी आधिकारिक पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

आपको बता दें, वर्ष 2019-20 में लगभग 3 करोड़ 28 लाख रुपए तालाब सब्सिडी की राशि में हेर फेर किया गया है, जिसपर अभी भी उक्त ADF पर विभागीय अधिकारियों की कृपा बनी हुई है।

जाने सालों बाद फिर क्यों उठ रहा मामला :
यह मामला अभी सुर्खियों में इस वजह से आ रहा है क्योंकि उक्त ADF (जिला विभाग प्रमुख) का नाम डीपीसी के लिए PSC में भेजा गया है।

नियमतः ADF को किया जाना चाहिए अपात्र घोषित, ताकि नीचे स्तर के अधिकारियों को मिले लाभ :
विभाग के विश्वसनीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त ADF को अपात्र घोषित किया जाना चाहिए, ताकि नीचे स्तर के अधिकारियों को भी प्रमोशन का मौका मिल सके।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डायरेक्टरेट (संचालनालय) दो अधिकारियों के भरोसे चल रहा है। इन्ही अधिकारियों के मनमानी के चलते अन्य जिला स्तर के अधिकारी परेशान रहते है।

छत्तीसगढ़ मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर ने कहा :
इस मामले में जब छत्तीसगढ़ मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर श्री नाग से जवाब तलब किया गया तब उन्होंने बताया कि, उक्त ADF (जिला विभाग प्रमुख) का नाम केवल प्रमोशन के लिए गया है, और उसपर किसी भी प्रकार की पदोन्नति नहीं की जाएगी। वहीं मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर का एक जवाब भी हास्यप्रद है, उन्होंने कहा कि उक्त ADF का तत्कालीन कलेक्टर के साथ किसी बात को लेकर विवाद था, जिसकी वजह से कलेक्टर ने जांच करवाई। जबकि मामला ऐसा कुछ भी नहीं है ADF के द्वारा तालाब के नाम से जारी सब्सिडी राशि का गबन किया गया था अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर ने जांच टीम का गठन किया जांच टीम ने जब हितग्राहियों का बयान लिया तो पता चला के यह करोड़ों का मामला है और ADF के द्वारा अपने अधिकारों का गलत उपयोग करते हुए सब्सिडी राशि का गबन किया।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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