धमतरी/मगरलोड। गुलशन कुमार। विकासखंड मुख्यालय मगरलोड के ग्राम मडेली के कमार पारा में आज 65 वर्षीय सुखवती कमार पति स्वर्गीय अंबा कमार को हिंसक जानवर तेंदुआ ने उसके घर से उठाकर नजदीक जंगल में ले जाकर शरीर के आधे से अधिक हिस्से को खाकर मौत का शिकार बनाया।

ग्रामीण नारायण ध्रुव ने बताया की की हिंसक जानवर गांव में कई दिनों से आ रहा है लेकिन वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी हाथी के आने पर ही सूचना करते हैं जबकि हिंसक जानवर तेंदुआ यहां गांव में घुसकर कुत्ता गाय बकरी का लगातार शिकार कर रहे हैं। लेकिन वन विभाग के अधिकारी घोर निद्रा में है और कभी भी हिंसक पशुओं की सुरक्षा के उपाय नहीं बताया और ना ही रात्रि व दिन में गस्त करते हैं।

हिंसक जानवर तेंदुआ के आने से ग्रामीणों में भारी दहशत है, रोशन ध्रुव ने बताया गांव में बड़ी-बड़ी मुर्गी फार्म होने के कारण भी हिंसक जानवर पशुओं की शिकार के बाद अब कमर महिला को भी अपना शिकार बना लिया। जिस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और प्रशासन से बंद करने की मांग की।

वही रेंजर पंचराम साहू ने गस्त करने की बात की ग्राम मडेली वनों से घिरा हुआ है। यहां वनों के अवैध कटाई चरम सीमा में है। वनों के आसपास क्षेत्र में अवैध ईट भट्टा भी बेधड़क चलाई जा रही है, जिससे वनों की बहुमूल्य इमारती लकड़ी को लगाए जाने का पूरा अनुमान है। जिस पर अभी तक कोई भी कार्यवाही वन विभाग द्वारा नहीं की गई है।

वन विभाग की निष्क्रियता के कारण कई निलगिरी पेड़ों के साथ जलाऊं लकड़ी का भी दोहन हो रहा है। वन विभाग की जिम्मेदार अधिकारी कभी कभार गांव में नजर आते हैं। समय पूर्व हिंसक जानवरों की जानकारी गांव में मुनादी से दी जा सकती तो आज कई पशुओं के साथ कमार महिला की जान भी नहीं जाती। आखिर गस्त करने में वन विभाग के अधिकारी क्यों पीछे रहते हैं यह समझ से पड़े हैं।

जब बड़ी घटना घटती है तभी अधिकारी गस्त की बात करने लगते हैं। वही कमार महिला को तेंदुआ के शिकार से मौत होने पर 25000 नगद दाह संस्कार के लिए रेंजर द्वारा प्रदान की गई। शेष राशि बाद में देने की बात कही लेकिन मौत का जिम्मेदार कौन है जिस पर ग्रामीणों में भारी आक्रोश पनप रहा है?

क्षेत्र में वनों की अवैध कटाई गांव के समीप अवैध ईट भट्ठा हिंसक जानवरों का गांव भीतर घर से उठाकर कमार महिला को मौत के घाट उतारना यह दिन ग्रामीणों को क्यों देखना पड़ रहा है और कब तक देखना पड़ेगा या भविष्य के गर्भ में है।

जागरूक ग्रामीणों ने बताया की यह बस्ती कमार आदिवासी बाहुल्य है। वन विभाग की घोर निद्रा होने के कारण व ग्रामीणों में जागरूकता की कमी भी एक कारण है। इस गांव में बड़ी संख्या में कमार जनजाति के लोग निवास करते हैं। कमार जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाते हैं।

भोले भाले ग्रामीण आदिवासियों ने कहा मौत के बदले मुआवजा देना ही पर्याप्त नहीं है इस तरह की घटना होने पर परिवार के लोगों को शासकीय नौकरी भी प्रदान की जाए। ग्रामीणों ने मुर्गी फार्म को भी बंद करने की मांग की जिसके कारण हिंसक जानवर लगातार गांव में घुस रहे हैं और घटना को अंजाम दे रहे हैं। एसडीओ मनोज विश्वकर्मा ने लगातार ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ गस्त होने की जानकारी दी लेकिन ग्रामीणों ने इसे सिरे से नकार दिया।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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