डोंगरगढ़। कुणाल सिंह ठाकुर। धर्मनगरी में भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं. आलम यह है कि जिस जमीन को सरकार ने किसानों को लाखों रुपए देकर अधिग्रहित किया था, उसी जमीन पर पहले भूमाफियाओं ने कब्जा जमाया, फिर बेंचने की तैयारी में रजिस्ट्री भी करा ली.

बता दें, डोंगरगढ़ में साल 1970 में डैम निर्माण के दौरान पानी निस्तारी के लिए डुबान क्षेत्र (बड़ा तालाब) में किसानों की जमीन को अधिग्रहित किया गया था. इसके एवज में किसानों को साल 1988 में लाखों रुपए का मुआवजा भी दिया था. लेकिन राजस्व विभाग ने अब तक अधिग्रहित भूमि को किसान के नाम से सरकारी (डुबान क्षेत्र) के नाम पर स्थानांतरित नहीं किया. प्रशासन की इस बड़ी लापरवाही का फायदा उठाते हुए भू-माफियाओं ने साल 2022-23 में किसानों से बड़ा तालाब की जमीन को लगभग 1 करोड़ रुपए में खरीद ली और फिर बेंचने के इरादे से रजिस्ट्री भी करा ली है.

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब जल संसाधन विभाग ने सरकारी डुबान क्षेत्र का सीमांकन कराया. सीमांकन में यह खुलासा हुआ कि क्षेत्र में रजिस्ट्री कराई गई सभी जमीनें सरकार की है, जिसके बाद यह पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया है.

गांव के पटेल घनश्याम साहू ने बताया कि बड़ा तालाब में कुछ भू माफियाओं ने किसानों को गुमराह कर डुबान जमीन की रजिस्ट्री कराई है. सबको पता है कि यह जमीन सरकारी डुबान भूमि है और 1988 में इस जमीन का मुआवजा भी जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को दिया जा चुका है. लेकिन फिर भी इन जमीनों की रजिस्ट्री धड़ल्ले से हो रही है.

बता दें, यह पहली बार नहीं है जब डोंगरगढ़ के अछोली क्षेत्र में इस तरह का मामला सामने आया है. इससे पहले भी भू-माफियाओं ने सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त कर प्रशासन को गुमराह किया था. अछोली इलाका भू-माफियाओं का गढ़ बन चुका है. वहीं प्रशासन की लापरवाही इनके मंसूबों को और बल दे रही है.

हाल ही में अछोली में अवैध प्लाटिंग की खबरें सुर्खियों में रही, जिसके बाद प्रशासन ने औपचारिकता निभाते हुए कुछ जमीन के टुकड़ों को प्रतिबंधित किया था. लेकिन कई हिस्सों पर अब भी खरीद-बिक्री जारी है. फिलहाल इस ताजा फर्जीवाड़े पर डोंगरगढ़ SDM मनोज मरकाम ने जांच कर कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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