रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ के लोकसभा सांसदों में सांसद निधि खर्च करने में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल सबसे आगे हैं। श्री अग्रवाल ने सांसद बनने के बाद 69 कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपए की अनुशंसा की है। इनके मुकाबले राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय सबसे पीछे हैं। उन्होंने 14 कामों के लिए अब तक सिर्फ 76 लाख 49 हजार रुपए की मंजूरी दी है।

आंकड़े बताते हैं कि रायगढ़ सांसद राधेश्याम राठिया ने 72 कार्यों के लिए 4 करोड़ 89 लाख, दुर्ग सांसद विजय बघेल ने 61 कार्यों के लिए 1 करोड़ 81 लाख, कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने 134 कार्यों के लिए 4 करोड़ 54 लाख, कांकेर सांसद भोजराज नाग ने 55 कार्यों के लिए 3 करोड़ 97 लाख, जांजगीर-चांपा सांसद कमलेश जांगड़े ने 61 कार्यों के लिए 4 करोड़ 83 लाख, महासमुंद सांसद रूपकुमारी चौधरी ने 66 कार्यों के लिए 3 करोड़ 47 लाख, बिलासपुर सांसद तोखन साहू ने 72 कार्यों के लिए 4 करोड़ 89 लाख, बस्तर सांसद महेश कश्यप ने 86 कार्यों के लिए 4 करोड़ 48 लाख एवं सरगुजा सांसद चिंतामणी महाराज ने 149 कार्यों के लिए 4 करोड़ 60 हजार रुपए की स्वीकृति दी है।

राज्यसभा सांसदों में देवेंद्र ने खाता ही नहीं खोला :
राज्यसमा सांसदों में भी छत्तीसगढ़ में सांसद निधि की राशि खर्च करने में फूलोदेवी नेताम सबसे आगे हैं। उन्होंने अब तक 154 कार्यों के लिए 16 करोड़ 50 लाख से अधिक राशि खर्च किया है। इनकी तुलना में सांसद केटीएस तुलसी ने 201 कार्यों के लिए 13 करोड़ 18 लाख 87 हजार रुपए, सांसद रंजीत रंजन ने 193 कार्यों पर 14 करोड़ 47 लाख 56 हजार रुपए, राजीव शुक्ला ने 2 कार्य पर 5 करोड़ 70 लाख रुपए राशि खर्च की है। राज्यसभा सांसद में देवप्रताप सिंह राशि खर्च करने में पीछे हैं। उन्होंने अब तक कोई भी कार्य को स्वीकृति नहीं दी है, जिसके कारण सांसद निधि का एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ है। सांसदों का यह पूरा आंकड़ा एमपीलैड्स पोर्टल के अनुसार है।

107.80 करोड़ में 43.28 करोड़ ही खर्च :
प्रदेश के लोकसभा सांसदों को केंद्र द्वारा कुल 107.80 करोड़ रुपए का फंड जारी किया गया है। इसके एवज में अब तक मात्र 43.28 करोड़ रुपए ही खर्च किया गया है। सांसदों द्वारा प्रदेशभर में कुल 821 कार्यों के लिए यह राशि जारी किया है। इसके एवज में प्रदेश में अब तक मात्र 35 कार्य ही पूर्ण हुए हैं।

78.65 करोड़ में 49.87 करोड़ खर्च :
राज्यसभा सांसदों को कुल 78 करोड़ 65 लाख रुपए की राशि जारी की गई है। इसके एवज में सांसदों ने अब तक 49 करोड़ 87 लाख रुपए की राशि ही खर्च किए है। यह राशि 550 कार्यों के लिए जारी की गई है, जिनमें अब तक 66 कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

अधिकतम सीमा 9.80 करोड़, एक सांसद ही कर पाया 5 करोड़ खर्च :
प्रत्येक सांसद को सांसद निधि के रूप में 5 करोड़ रुपए का फंड जारी होता है। यह फंड पहले दो किस्तों में जारी होता था। पहली किस्त में ढाई करोड़ रुपए जारी होता था, वहीं दूसरी किस्त तभी जारी की जाती थी, जब पहली जारी किस्त का 80 प्रतिशत राशि सांसद खर्च कर लेते थे। यह नियम में बदलाव किया गया है। नई गाइड लाइन के बाद सांसदों को अब एक साथ पूरा फंड जारी किया जाता है। यह फंड सांसदों द्वारा अनुशंसा किए गए कार्यों को स्वीकृति मिलने के बाद राशि सांसदों के खातों से सीधे निर्धारित निर्माण एजेंसी के खातों में ट्रांसफर की जा रही है। इससे प्रत्येक सांसद अगर किसी साल में पूरी राशि खर्च नहीं भी करता है तो दूसरे साल में उस राशि को खर्च कर सकता है। इस तरह एक साल में सांसद अधिकतम 9 करोड़ 80 लाख रुपए तक खर्च कर सकता है। राज्य में 2024 में लोकसभा सांसद चुनाव हुआ था। इस तरह वित्तीय वर्ष 2024-25 के बाद नए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भी सांसदों को सालाना फंड जारी हो चुका है। इसके बाद भी प्रदेश के 11 लोकसभा सांसदों में मात्र एक सांसद ने ही 5 करोड़ रुपए खर्च किया है।

निर्माण एजेंसी भी कर रही धीमा काम :
एमपीलैड्स के आकड़ों के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों की अनुशंसा पर स्वीकृत कार्यों के निर्माण के लिए एजेंसियों के खातों में राशि ट्रांसफर की जा रही है, लेकिन इसके बाद एजेंसियों द्वारा काफी धीमे गति से निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसके कारण प्रदेश में अब तक स्वीकृत 1371 कार्यों में 101 कार्य ही पूर्ण हो पाए हैं, शेष 1270 कार्य अपूर्ण हैं।

अध्ययन करने के बाद स्वीकृति दूंगा :
राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सांसघ निधि का बजट लिमिट है और मांगे प्रदेशभर से आ रही है, इसलिए मैं अध्ययन करने के बाद ही कार्यों को स्वीकृति दूंगा। इसमें समय लग रहा है, लेकिन ऐसे कार्यों को ही स्वीकृति दूंगा, जो जनता के हित के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक होंगे।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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