बालोद/रायपुर। जाहीद अहमद खान। जिला मुख्यालय में बढ़ते यातायात के दवाब को कम करने लिए शासन ने 10 करोड़ की लागत से पडकीभाट से पाररास तक 6 किमी बाईपास बनाया गया था। लेकिन महज 3 वर्ष में ही उक्त मार्ग में आवागमन करना अब आसान काम नहीं है। सड़क पर उड़ रही धूल से लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। सड़कों पर बने गड्ढे से तो राहगीर पहले ही परेशान हो रहे थे, अब उड़ती धूल का भी सामना करना पड़ रहा है। इस मार्ग पर चलने वाले दुपहिया चालको को उड़ती धूल की गुब्बार का सामना करना पड़ता है। बाईपास सड़क में लगातार भारी वाहनों के गुजरने से धूल उड़ने लगती है। इस मार्ग पर धूल ही धूल नजर आता है। धूल उड़ने से चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारी वाहन के आवाजाही से परेशानी बढ़ जाती है। भारी वाहन के पीछे-पीछे चलने वाले छोटे-छोटे वाहन खासकर ऑटो, बाइक चालकों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। बाइक चालक को सड़क पर उड़ रही धूल आंखों के सामने ओझल कर देती है। इससे अक्सर दुर्घटना होनी की संभावना बनी रहती है।
बाईपास सड़क पर वाहनों की आवाजाही से गिट्टी पीस पीस कर उड़ने लगी हैं धूल की गुब्बार :
पडकीभाट पाररास बाईपास पर वाहनों के आने जाने से गिट्टी पिस-पिस कर बारीक हो गई। अब जैसे ही कोई वाहन मार्ग से गुजरता है तो गिट्टी का गुब्बार बन जाता है और पूरा वातावरण धूलमय हो जाता है। ट्रकों सहित अन्य लोगों को भी वाहन के शीशे बंद कर आवाजाही करनी पड़ रही है। इन सड़क पर धूल उड़ती रहती है। सांस लेना मुश्किल हो रहा है, लोगो ने कहा कि लोक निर्माण विभाग व ठेकेदार की लापरवाही के चलते बाईपास सड़क में राहगीर इन दिनों मार्ग में उड़ने वाली धूल के गुबार से परेशान है। जिससे बीमारी होने का अंदेशा बना रहता है। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही इस मार्ग पर चलने वाले लोगों के चेहरे व कपड़े भी गंदे हो जाते हैं।
अधिकारियों की मॉनिटरिंग पर उठने लगे सवाल :
शहर में भारी वाहनों के दबाव को देखते हुए यातायात पुलिस ने तीन वर्ष पहले इस सड़क को मालवाहकों के लिए खोल दिया है। उसके बाद भारी वाहनों की आवाजाही इस मार्ग पर होने लगी। इससे दवाब नहीं झेल पाई और सड़क उखड़ने लगी। वर्तमान स्थिति ऐसी है कि सड़क पूरी तरह जर्जर होकर धूल की गुब्बार उठने लगी है। लोक निर्माण केवल खानापूर्ति के लिए उक्त सड़क को पेचवर्क करती है लेकिन कुछ दिनों के बाद सड़क पुरानी स्थिति में आ जाती हैं। अब तो पूरी सड़क को मरम्मत कराने की नौबत आ गई है। इससे सड़क की गुणवत्ता और निर्माण एजेंसी व संबंधित विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग पर सवाल उठने लगा हैं।
निर्माण के बाद से कई बार हो चुका पैंचवर्क :
इस मार्ग पर उस समय भी उंगली उठी थी जब निर्माण होने के कुछ माह में ही यह सड़क उखड़ने लगी थी। पैचवर्क कर इसे दुरूस्त किया गया था। अब जब मालवाहक चलने लगे हैं तो दबाव बढ़ते ही सड़क फिर उखड़ने लगी है। लोगों को उम्मीद थी की 10 करोड़ की सड़क मजबूत बनेगी, पर यह तो कई बार जर्जर हुई थी और कई बार पेंचवर्क का कार्य किया जा रहा है। जिसके बाद भी सड़क में बड़े बड़े गड्ढे होने से बारिश का पानी भर जाता था, लेकिन बारिश थमते ही धूल की गुब्बार उठने लगती हैं। जिसके चलते वाहनों को आवाजाही करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।
उखड़ रही गिट्टी, जगह-जगह धंस रही सड़क :
जिला मुख्यालय में बढ़ते यातायात दबाव को कम करने के लिए शासन ने 10 करोड़ की लागत से पड़कीभाट से पाररास तक 6 किमी बायपास मार्ग बनाया गया। इस मार्ग से बड़े मालवाहक वाहनों की आवाजाही हुई थी। गुणवत्ताहीन बनने की वजह से गिट्टियां उखड़ने लगी हैं। जगह-जगह धंसती भी जा रही है। कई जगहों पर पूरी सड़क ही गायब हो गई हैं, ऐसा लगता हैं मानो ये सड़क कोई कस्बे इलाके हैं।
बघमरा रेल्वे फाटक के सामने वाली तिराहा पर्रेगुड़ा मार्ग की स्थिति भी दयनीय :
दूसरी ओर पर्रेगुड़ा से बघमरा बालोद तिराहा तक इस बायपास मार्ग की स्थिति दयनीय हो चुकी है, पाररास मार्ग में सड़क धंस गई है। बाइपास सड़क के अधिकाश हिस्से पूरी तरह उखड़ गई और कई जगहों से सड़क धस गई हैं जिसके कारण रात में आवाजाही करने वाले दुपहिया वाहन चालक गड्ढे में फसकर गिर कर दुर्धटना का शिकार हो रहे हैं।