मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन कैसे टूटा, इस बारे में जो अब तक कहा जाता रहा है, वो सच नहीं है। सच कुछ और है। यह दावा महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री रह चुके और महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री रहे सीनियर कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने किया है। अशोक चव्हाण के दावे के मुताबिक यह सच नहीं है कि बीजेपी की ओर से 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने का अमित शाह ने वादा किया था और बाद में वो मुकर गए, इसलिए यह गठबंधन टूटा। बीजेपी तो लगातार यह कहती रही है कि अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से ऐसा कोई वादा किया ही नहीं था। अशोक चव्हाण के मुताबिक दरअसल कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना 2014 से ही गठबंधन करने की कोशिश में थी। इसका सबसे बड़ा सबूत यह भी है कि भले ही राज्य में बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन की सरकार थी, लेकिन दोनों ही पार्टियां स्थानीय निकायों के चुनाव अलग-अलग लड़ रही थीं। शिवसेना से गठबंधन का प्रस्ताव कांग्रेस के पास लाने वाले कोई और नहीं, एकनाथ शिंदे थे। अशोक चव्हाण ने खुलासा किया है कि सीएम शिंदे शिवसेना के शिष्टमंडल के साथ आकर उनसे उनके मुंबई के चर्चगेट ऑफिस में मिले थे और कहा था कि कांग्रेस हां करे तो वे एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात करें।

‘हिंदुत्व के लिए शिवसेना छोड़ी- ये बातें हैं बकवास, सीएम बनना था, कहो साफ’
यानी अशोक चव्हाण साफ-साफ यह बता रहे हैं कि एकनाथ शिंदे का यह कहना कि चूंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने हिंदुत्व का साथ छोड़ दिया, बालासाहेब के विचारों के खिलाफ जाकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली, इसीलिए उन्होंने बगावत की, ये बातें बकवास हैं। अगर इसीलिए उन्होंने शिवसेना छोड़ी तो खुद 2014 में शिवसेना का प्रस्ताव लेकर कांग्रेस के पास क्यों गए थे?

शिंदे- उद्धव दोनों को था कुर्सी का खयाल, कहने के लिए सिर्फ बालासाहेब के विचार
अशोक चव्हाण के खुलासे का मतलब साफ है। उद्धव ठाकरे ने भी सीएम की कुर्सी के लिए विचारधारा को ताक पर रख दिया और सीएम शिंदे ने भी सीएम की कुर्सी दिखी तो यही किया। दोनों को येन केन प्रकारेण कुर्सी चाहिए थी, रास्ते चाहे जो हों, इसकी परवाह नहीं थी।

अशोक चव्हाण की बातों में कितनी सच्चाई, शिंदे गुट ने दी सफाई :
अशोक चव्हाण के इस खुलासे के बाद शिंदे गुट की ओर से मंत्री गुलाबराव पाटील ने सफाई दी है। गुलाबराव पाटील ने कहा है कि अशोक चव्हाण के बोलने का कोई मतलब नहीं है। एकनाथ शिंदे शिवसेना के शिष्टमंडल के साथ गए होंगे, इस बात से इनकार नहीं है। पार्टी में रहते हुए पार्टी नेतृत्व की बात तो माननी ही पड़ती है। सोनिया गांधी अगर अशोक चव्हाण से कुछ कहेंगी तो उनको भी बात माननी पड़ेगी। इसमें कौन सी बड़ी बात है? फिर अशोक चव्हाण ऐसा कौन सा बड़ा खुलासा कर रहे हैं? एकनाथ शिंदे शिवसेना का प्रस्ताव लेकर कांग्रेस के पास गए थे तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें यह करना पसंद था।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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