नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। मोदी सरकार आतंकवाद को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चल रही है। इस बात को पूरी दुनिया को बताने के लिए ‘आतंकवाद के लिए कोई पैसा नहीं’ सम्मेलन करवा रहा है। इस सम्मेलन में करीब 75 देशों और अंतराराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि दो दिनों तक परिचर्चा में हिस्सा लेंगे। यह तीसरा मंत्री स्तरीय सम्मेलन है जिसमें आतंकवाद और टेरर फंडिंग जैसे अहम मुद्दो पर कई देशों के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा होगी। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, पीएम मोदी सरकार के आतंकवाद के खिलाफ इस मूल मंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, एनएमएफटी सम्मेलन की मेजबानी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे, इस बुराई को बिल्कुल नहीं बर्दाश्त नहीं करने की उसकी नीति, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस मुद्देपर चर्चा कराने को मोदी सरकार द्वारा दी जा रही अहमियत को दर्शाती है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में सफलता हासिल करने के लिए आतंकवाद एवं उसके सहयोग तंत्र के खिलाफ संघर्ष में भारत का संकल्प सामने रखेंगे।
टेरर फंडिंग का उठाएंगे मुद्दा :
बयान के अनुसार इस सम्मेलन का लक्ष्य, पेरिस (2018) और मेलबर्न (2019) के पिछले दो सम्मेलनों में टेरर फंडिंग का मुकाबला करने के विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जो चर्चा की थी, उसे आगे ले जाना है। उसका मकसद टेरर फंडिंग के सभी पक्षों के तकनीकी, कानूनी और सहयेाग पहलुओं पर चर्चा शामिल को करना है। उसमें टेरर फंडिंग का मुकाबला करने पर केंद्रित अन्य उच्च स्तरीय आधिकारिक और राजनीतिक चर्चा को गति प्रदान करने की कोशिश की जाएगी।
दुनियाभर में कई देश वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद से पीड़ित हैं। इस हिंसा के स्वरूप भले ही भिन्न-भिन्न हैं लेकिन वह काफी हद तक अस्थिर भू-राजनीतिक माहौल और दीर्घकालिक जातीय संघर्षों के कारण उत्पन्न होती है। भारत ने पिछले तीन दशकों से अधिक समय से आतंकवाद के विभिन्न रूपों को झेला है, इसलिए वह इस स्थिति से प्रभावित देशों की पीड़ा समझता है।