रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। आपने टीवी सीरियल या फिल्मों में यह जरूर देखा होगा कि जब किसी व्यक्ति को फांसी की सजा दी जाती है, तो उस व्यक्ति से उसकी आखिरी इच्छा जरूर पूछी जाती है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों एक कैदी या अपराधी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है? इसके अलावा कभी यह सोचा है कि आखिरी इच्छा में कैदी अपनी सजा माफ करने की इच्छा क्यों नहीं मांगता? अगर आप इसका जवाब नहीं जानते, तो कोई बात नहीं आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।

तो इसलिए फांसी से पहले पूछी जाती है आखिरी इच्छा :
दरअसल, फांसी से पहले एक कैदी से उसकी आखिरी इच्छा पूछने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। क्योंकि पहले के लोगों के मानना था कि अगर मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी ना कि जाए, तो उसकी आत्मा भटकती रहती है। इसलिए आज भी जब किसी कैदी को फांसी की सजा सुनाई जाती है, तो उसे फांसी देने से पहले उसकी आखिरी इच्छा जरूर पूछी जाती है।

जेल मैनुअल में आखिरी इच्छा जैसा कोई प्रावधान नहीं :
हालांकि, बता दें कि जेल मैनुअल में कैदी की आखिरी इच्छा पूरी करने जैसा कोई प्रावधान नहीं है। लंबे समय तक दिल्ली जेल में लॉ अफसर रह चुके सुनील गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर एक अपराधी आखिरी इच्छा पूरी करने के नाम पर यह कहे कि उसे फांसी की सजा ना दी जाए, तो ऐसे में उसकी यह बात नहीं मानी जा सकती। इसलिए जेल मैनुअल में आखिरी इच्छा पूरी करने जैसा कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन परंपरा के मुताबिक आज भी कैदियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है।

सिर्फ इन 3 इच्छाओं को किया जाता है पूरा :
बता दें कि फांसी की सजा प्राप्त अपराधी को अपनी आखिरी इच्छा पूरी करने का मौका तो दिया जाता है, लेकिन ये इच्छा एक सीमित दायरे में ही तय होती है। आखिरी इच्छा के नाम पर एक कैदी की नीचे दी गई तीन इच्छाएं ही पूरी की जाती हैं।

  1. अगर एक कैदी अपना कोई मनपसंद खाना खाने की इच्छा जताता है, तो जेल प्रशासन द्वारा उसकी यह इच्छा खुशी-खुशी पूरी की जाती है।
  2. इसके अलावा कैदी आखिरी इच्छा के रूप में अपने परिवार वालों से मिलने की इच्छा जताता है, तो भी जेल प्रशासन उसे उसके पूरे परिवार से मिलवा देता है।
  3. वहीं कैदी अपने आखिरी समय में अपने धर्म की कोई पवित्र पुस्तक पढ़ने की इच्छा जताता है, तो उसकी इस इच्छा को भी पूरा किया जाता है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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