रातापानी/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। मध्य प्रदेश में एक बार फिर पुरातत्व विभाग को 4 मंदिर मिले हैं। ये मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी के बताए जा रहे हैं। परमारकालीन ये मंदिर लगभग 1 हजार साल पुराने है। इन मंदिर को पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया है। जिसके लिए पुरातत्व विभाग द्वारा वन विभाग से मंजूरी मांगी गई है। जबकि एक साइट का सर्वे विभाग द्वारा किया जा चुका है। बता दें कि इन चार मंदिरों में से तीन मंदिर रातापानी सेंचुरी के जंगलों में मिले हैं, जबकि एक ग्यारसपुर में मिला है।
रातापानी सेंचुरी में जो 3 मंदिरों के अवेशष मिले हैं वो परमारकालीन हैं। जानकारी के मुताबित भोपाल के सैय्यद इम्तियाज ने पुरातत्व विभाग को नीलगढ़ में मंदिर के अवशेष मिलने की सूचना दी थी, जब आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने डॉ. अहमद अली, डॉ. वसील खान, जितेंद्र अनंत के साथ मौके पर पहुंचकर आसपास चार किमी का क्षेत्र घूमा तो दो और मंदिर के अवशेष मिल गए। अवशेषों में मंदिर के शिखर पर लगने वाले अमलक शिला और दरवाजे के ऊपर लगने वाली सिरदल हैं। पहला मंदिर नीलगढ़ के दक्षिण में 500 मी दूर है। ये शिव मंदिर 12वी सदी का है। दूसरा मंदिर पहले से करीब एक किमी दूर धनवानी तक जाने वाले वन मार्ग के उत्तर में है।
पत्थरों से बने मंदिर की ऊंचाई है करीब सात मीटर :
वहीं भोपाल के पास ग्यारसपुर में प्राचीन सूर्य मंदिर निकला है। ये भी 13वीं शताब्दी के आसपास बना है और कोणार्क के सूर्य मंदिर और खजुराहो के मंदिरों के समकालीन है। यहां परमार और प्रतिहार वंश की झलक मिलती है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसका संरक्षण करने जा रहा है। यहां पुरातत्वविदों की टीम ने काम भी शुरू कर दिया है। अभी मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में है। पत्थरों से बने इस मंदिर की ऊंचाई करीब सात मीटर है। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविक मनोज कुमार कुर्मी बताते हैं कि हमने साइट का सर्वे किया है। मालादेवी मंदिर का भी संरक्षण करेंगे।