नई दिल्ली/रायपुर। द मीडिया पॉइंट। एक ईरानी कमांडर के दावे से हड़कंप मचा हुआ है। ईरान ने 1650km तक मार करने वाली एक क्रूज मिसाइस डेवलप की है। वहां के एक टॉप कमांडर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में ईरानी ड्रोन के इस्तेमाल होने के बाद पश्चिमी देश से उनको खतरा है। रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख अमीराली हाजीज़ादेह ने भी ईरान के एक शीर्ष ईरानी कमांडर की हत्या का बदला लेने की बात कही है। उसने कहा है कि हम ट्रंप को मारना चाहते हैं।
हाजीजादेह ने स्टेट टीवी को बताया कि 1,650 किमी रेंज वाली हमारी क्रूज मिसाइल को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के मिसाइल शस्त्रागार में जोड़ा गया है। टेलीविजन प्रसारण ने जो कहा वह नई पावेह क्रूज मिसाइल दिखाने वाला पहला फुटेज था। हाजीजादेह ने कहा कि ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमामी की हत्या के बाद इराक में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला शुरू करने का इरादा कमजोर सैनिकों को मारना नहीं था। कासिम सुलेमानी को अमेरिकी ड्रोन ने 2020 में बगदाद में मार दिया था।
सुलेमानी की मौत का बदला :
हाजीजादेह ने एक इंटरव्यू में कहा, “खुदा ने चाहा तो हम ट्रंप को मारना चाहते हैं। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और सुलेमानी को मारने का आदेश जारी करने वाले सैन्य कमांडरों को मार दिया जाना चाहिए। ईरानी नेताओं ने अक्सर सुलेमानी का बदला लेने के लिए मजबूत शब्दों में कसम खाई है।
ईरान के खतरनाक ड्रोन :
संयुक्त राज्य अमेरिका के विरोध और यूरोपीय देशों की चिंता के बावजूद ईरान ने अपने मिसाइल कार्यक्रम, विशेष रूप से अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों का विस्तार किया है। तेहरान का कहना है कि यह कार्यक्रम देश की रक्षा करने के लिए है। ईरान ने कहा है कि उसने यूक्रेन युद्ध से पहले मास्को को ड्रोन की आपूर्ति की थी। रूस ने बिजली स्टेशनों और नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है।
MQ-9 रीपर ड्रोन से सुलेमानी के उड़े थे चीथड़े :
साल 2020 में अमेरिका ने MQ-9 रीपर ड्रोन के उपयोग से बगदाद में ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराया था। इसके बाद से ही ईरान अमेरिकी नेताओं को मारने की धमकी देता रहा है। दो अमेरिकी MQ-9 रीपर ड्रोन ने दो कारों के काफिले में मिसाइलें दागीं थीं, जिस वक्त वह वे बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बाहर निकल रहे थे। उसमें सुलेमानी और हशद अल शाबी सवार थे। दोनों की वहीं मौत हो गई थी। जानकारी के मुताबिक अमेरिकी कमांडरों और खुफिया अधिकारियों ने मुखबिरों, इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट्स, टोही विमान और अन्य निगरानी के माध्यम से सुलेमानी को ट्रैक किया था।