रायपुर। द मीडिया पॉइंट। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के दो जिलों नारायणपुर और कोंडागांव में मछलीपालन विभाग के सहायक ग्रेड 2 द्वारा कुल 1 करोड़ 25 लाख 58 हजार 994 रूपए की राशि शासकीय खाते से अपने व्यक्तिगत खाते में डाले गए थे। इस मामले में सहायक ग्रेड 2 को निलंबित कर दिया गया था। मगर इस मामले में सहायक संचालक को बचाने यह चक्रव्यूह रची गई थी, जिसपर द मीडिया पॉइंट की टीम ने प्रकाश डाला और मामले में संलिप्त ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) की पोल खोल दी। वहीं, इस मामले में एफआईआर के लिए मात्र लेटर लिखा गया था, लेकिन कार्यवाही नहीं की गई थी। जब द मीडिया पॉइंट ने यह सवाल उठाया की इस मामले में अबतक एफआईआर की कार्यवाही क्यों नहीं की गई है? तब आनन-फानन में अधिकारीयों द्वारा नारायणपुर और कोंडागांव थाने पहुंचकर सहायक ग्रेड 2 पर एफआईआर की कार्यवाही की गई। इसकी जानकारी दोनों जिलों के कलेक्टरों को भी द मीडिया पॉइंट की टीम ने दी।

सहायक ग्रेड 2
दरअसल, इस मामले में ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को बचाने तरह-तरह की साजिशें रची गई। इस बीच-बचाव कार्य में कई बड़े अधिकारीयों और जांच समिति के सदस्यों के नाम भी सामने आए हैं। आपको बता दें, जांच समिति ने इस मामले में सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी को दोषी बताया है, लेकिन क्या बिना सहायक संचालक को बताये या बिना सहायक संचालक के हस्ताक्षर/सिग्नेचर के एक सहायक ग्रेड 2 का कर्मचारी महीनों कैसे राशि का आहरण कर सकता है? सहायक ग्रेड 2 के कर्मचारी द्वारा महीनों से शासकीय राशि का आहरण किया जा रहा था, इसके बावजूद भी सहायक संचालक को इसकी जानकारी ना हो क्या ऐसा संभव हो सकता है?
इन सब के अलावा, ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) हर महीने शासकीय अकाउंट्स चेक करता है। क्या ADF/सहायक संचालक को इस बात की भी खबर नहीं थी की शासकीय खाते से कितने का हेरफेर कहाँ हो रहा है? यहां, कहा जा रहा है कि सहायक ग्रेड 2 द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर शासकीय खाते से इन करोड़ों रुपयों को अपने व्यक्तिगत खाते में डाला गया है। तो फिर हर महीने खाते की चेकिंग में ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) क्या चेक करते थे?
इतना ही नहीं, हर 2-3 महीने में मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर द्वारा भी जिले के सहायक संचालकों को शासकीय खाते/मद में कितनी राशि बची है उसकी जानकारी ली जाती थी। ताकि आगे जिन जिलों में ज्यादा कार्य आए वहां फोकस किया जा सके और इस राशि को वहां आबंटित की जा सके। क्या मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर ने भी खाते में ध्यान नहीं दिया? मामला गर्माते हुए देखकर एक्शन लेना कहां तक विभाग की जिम्मेदारी को दर्शाता है?
डायरेक्टर ने दी जानकारी :
जब इस मामले में द मीडिया पॉइंट की टीम द्वारा मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर नारायण सिंह नाग से बात की गई तब उन्होंने बताया कि अबतक इस मामले में केवल सहायक ग्रेड 2 के ऊपर कार्यवाही की गई थी, लेकिन अब ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) पर भी कार्यवाही की जा रही है। ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) के निलंबन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, फाइल भी आगे बढ़ चूका है। अब देखना यह है कि ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को बचाने विभाग द्वारा और कितनी कोशिशें की जाती है।
जांच समिति पर भी हो कार्यवाही :
इस मामले में जिस 3 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था, उनपर भी कार्यवाही की जानी चाहिए की एकतरफा जांच करते हुए मात्र मोहरे के रूप में कार्य कर रहे सहायक ग्रेड 2 को दोषी ठहराया गया। ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को जांच समिति द्वारा बचाए जाने की हरसंभव कोशिश की गई। ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को बचाने की कोशिश में जांच समिति के सदस्यों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए, कि एकतरफा रिपोर्ट किसके दबाव में? या किसके निर्देश पर? या क्या मिलने पर उन्होंने पेश किया? आखिर जांच समिति ने ADF/सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) पर जांच क्यों नहीं की? आपको बता दें, 3 सदस्यीय जांच समिति में मछलीपालन वित्त विभाग से लॉरेंस तिर्की, डिप्टी डाइरेक्टर जगदलपुर राणा और एक बाबू ही मुख्य भूमिका में थे।