कोंडागांव/नारायणपुर/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के दो जिलों (नारायणपुर/कोंडागांव) में मछलीपालन विभाग के शासकीय खाते से 1 करोड़ 25 लाख 58 हज़ार 994 रूपए की राशि शासकीय मद से व्यक्तिगत खाते में आहरण करने के मामले में सहायक ग्रेड 2 को निलंबित किया गया था। अब इस मामले में द मीडिया पॉइंट की टीम द्वारा लगातार खबर लगाए जाने के बाद मछलीपालन विभाग ने कोंडागांव ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को भी निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
आपको बता दें, पहले केवल सहायक ग्रेड 2 के ऊपर कार्यवाही की गई थी। एफआईआर के निर्देश तो दिए गए थे लेकिन नाम मात्र की कार्यवाही कर मामले को दबाने का पूर्ण प्रयास किया जा रहा था। द मीडिया पॉइंट की टीम द्वारा मामले को गंभीरता से उठाने के बाद आनन-फानन में सहायक ग्रेड 2 पर एफआईआर की कार्यवाही की गई, इसके बाद भी कुछ बड़े विभागीय अधिकारीयों द्वारा ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को बचाने की कोशिश की जा रही थी। मामले को फ़र्ज़ी हस्ताक्षर में घूमा कर जांच अधिकारियों द्वारा भी दबाने का प्रयास किया गया। लेकिन मामला बढ़ता देख और ऊपर से प्रेशर आने के बाद ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है।


मामले में एक और ट्विस्ट, जांच अधिकारी को ही दिया गया कोंडागांव जिले का प्रभार :
आपको बता दें, शासकीय करोड़ों रूपए के गबन मामले में जिस जांच अधिकारी ने पुरे मामले का ठीकरा केवल सहायक ग्रेड 2 के ऊपर फोड़ा था और अपने जांच में ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) का जिक्र भी नहीं किया था, उन्हें अब निलंबित ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) मान सिंह कमल के जिले का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सूत्रों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि अब इस मामले की फाइल में और गड़बड़ी हो सकती है या जांच कुछ अलग दिशा में भी जा सकती है। इन सब चीज़ों पर नज़र डाली जाए तो बहुत से सवाल उठते दिख रहें हैं। आखिर उसी जांच अधिकारी को जिले का प्रभार क्यों दिया गया जिसने इस मामले में ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) का जिक्र अपने जांच प्रतिवेदन में नहीं किया था? क्या और कोई जिम्मेदार अधिकारी विभाग की नज़र के अनुसार प्रभार दिए जाने के काबिल नहीं हैं?