नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। हाईकोर्ट ने जमीन बिक्री से संबंधित एक विवाद पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर रजिस्ट्री में लिखी गई रकम बेचने वाले को नहीं मिलती है तो ऐसा बिक्री विलेख शून्य घोषित होगा। साथ ही अपील को भी खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में हुई।
दरअसल, मोहम्मद अल्ताफ मेमन ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बस्तर द्वारा 9 सितंबर 2015 को पारित आदेश को चुनौती दी है। दिन इसमें कहा गया कि फनिंद्र भारत की पिपलावंद में 8.60 हेक्टेयर भूमि का सौदा 19 लाख 72 हजार में होने के बाद 25 फरवरी 2012 को रजिस्ट्री हुई। इसमें 4 लाख 89 हजार रुपए चेक के माध्यम से और 11 हजार रुपए नगद विक्रेता को दिया गया। शेष 14 लाख 72 हजार रुपए का चेक दिया गया। चेक की राशि का भुगतान हुए बिना ही जमीन की रजिस्ट्री हो गई।
विक्रेता गया था जिला न्यायालय :
जब बेचने वाले ने बैंक में चेक लगाया तो वह बाउंस हो गया। साथ ही खरीदने वाले ने बैंक से चेक से होने वाले भुगतान को रोक दिया था। खरीदने वाले ने पूरा पैसा नहीं दिया तो विक्रेता ने जिला न्यायालय में याचिका दायर की। कोर्ट में बताया कि धोखा देकर जमीन की रजिस्ट्री कराई गई है। निचली अदालत ने पैसा नहीं देने के कारण रजिस्ट्री कैंसिल कर दी। अपीलकर्ता ने बताया कि खरीदी गई जमीन पर दूसरे लोगों का कब्जा था, इसलिए चेक को रोका गया था। हाईकोर्ट में भी अपील हुई। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना है कि अगर रजिस्ट्री में लिखी गई रकम बेचने वाले को नहीं मिलती है तो ऐसी खरीदी-बिक्री को शून्य माना जाएगा।