रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के मछलीपालन विभाग का एक और कारनामा सामने आ रहा है। कांकेर के पूर्व ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) साहू को चलते जांच के दौरान राजनांदगांव जैसे बड़े जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब इस मामले पर विभागीय अधिकारी अपनी सफाई पेश करते नज़र आ रहें हैं।
कांकेर जिले के मछलीपालन विभाग के ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) द्वारा किए गए करोड़ों रूपए के तालाब सब्सिडी की राशि में हेर फेर का मामला अबतक शांत नहीं हुआ है और अब इस मामले में एक नया मोड़ सामने आ रहा है। पूर्व जांच में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा दोषी घोषित किए जाने के बाद 3 साल से अबतक उक्त ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू पर विभागीय जांच चल रही है। चलते जांच के बीच में ही ADF सहायक संचालक (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू को विभागीय अधिकारियों की मेहरबानी/कृपा से राजनांदगांव जिले की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
पूरा मामला इस प्रकार है कि, वर्ष 2019-20 में लगभग 3 करोड़ 28 लाख रुपए तालाब सब्सिडी की राशि में तत्कालीन ADF कांकेर सुदेश साहू द्वारा हेर फेर किया गया था, जिसकी जांच तत्कालीन कांकेर कलेक्टर के नेतृत्व में जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा की गई थी। जांच में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने तत्कालीन ADF को दोषी ठहराया था। साथ ही, मछलीपालन विभाग के संचालक को उक्त ADF के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पत्र लिखा था। यह पत्र एक बार नहीं बल्कि 3 से 4 बार लिखा गया था, पर उक्त ADF पर उस समय एफआईआर नहीं करते हुए उसे बस निलंबित कर दिया गया था। और कुछ दिन बाद उक्त ADF को बचाने विभाग के कुछ अधिकारियों ने एक खेल खेला, जिसमे उक्त मामले में विभागीय जांच बैठा दी गई। फिर कुछ दिन बाद उक्त ADF को बहाल कर दिया गया। वहीं विभागीय जांच आज 3 साल बीत जाने के बाद भी चल ही रही है। जिसपर अभी भी उक्त ADF पर विभागीय अधिकारियों की कृपा बनी हुई है। इस मामले में जांच अभीतक अधूरा है। इतना ही नहीं मछलीपालन विभाग ने जिले के कलेक्टर की बात को भी दरकिनार कर दिया और अबतक इनपर एफआईआर की कार्यवाही भी नहीं की है, बावजूद इसके इन्हे नई जिम्मेदारी देना कहां तक उचित है?
विगत दिनों उक्त ADF (जिला विभाग प्रमुख) का नाम डीपीसी के लिए PSC में भेजा गया था, जिसमे द मीडिया पॉइंट के संज्ञान लेने के बाद विभागीय अधिकारियों का ग्रुप हड़बड़ाते हुए अबतक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं कर पाया है। अब उक्त अधिकारी पर विशेष मेहरबानी दिखाई जा रही है।
जाने इस मामले में डायरेक्टर ने क्या कहा :
वर्ष 2019-20 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा ADF (जिला विभाग प्रमुख) सुदेश साहू को जांच में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद से अबतक उक्त ADF पर एक एफआईआर भी विभाग द्वारा नहीं किया गया है। अब इन्हें राजनांदगांव की जिम्मेदारी देने के बाद मछलीपालन विभाग के डायरेक्टर इंक्रीमेंट रोकने की बात कर रहें हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इंक्रीमेंट रोकना केवल एक दिखावा मात्र है, जबकि 2019-20 में दोषी ठहराए गए ADF (जिला विभाग प्रमुख) पर सस्पेंड या एफआईआर या रिकवरी की कार्यवाही की जानी थी। इस सवाल पर डयरेक्टर भी गोलमोल जवाब देते हुए बचते नज़र आए।

क्या करोड़ो रूपए तालाब सब्सिडी की राशि हेर फेर मामले में इंक्रीमेंट रोकना या छोटी-मोटी कार्यवाही करना कहां तक उचित है? कुल मिलाकर उक्त ADF को विभाग के उच्च अधिकारियों का संरक्षण मिलता हुआ नज़र आ रहा है। ऐसा ही अगर चलता रहा तो मछलीपालन विभाग का कोई भी अधिकारी राशि गबन करके कुछ दिन निलंबित रह कर विभागीय अधिकारियों की कृपा से बहाल हो जाएगा। ऐसे में विभागीय ढांचा बिगड़ जाएगा और उसे गलत करने के बाद किसी का भी भय नहीं रहेगा।