रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश का मछलीपालन विभाग एक बार फिर सुर्ख़ियों में बना हुआ है। इस बार आचार संहिता के दौरान विभागीय अधिकारियों के द्वारा कुटरचित कर दस्तावेज़ो को बदलकर चुनाव आयोग को गुमराह करने का मामला सामने आया है। चुनाव आयोग के नियम विरुद्ध कार्य कर एक अधिकारी की जॉइनिंग कराई गई हैं, जिसमे शिकायतकर्ता के शिकायत के बाद आगे की कार्यवाही की जा रही है।
मामला इस प्रकार है :
आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद प्रदेश मछलीपालन विभाग द्वारा नियम विरुद्ध कार्य करते हुए एक आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में पूर्व कांकेर ADF (सहायक संचालक) सुदेश साहू को राजनांदगांव जिले का प्रभार दिया गया है। आपको बता दें, आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के उपरांत किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को नियुक्ति / स्थानांतरण / पदस्थापना / भारमुक्ति / पदग्रहण / पदोन्नति / बिना भारत निर्वाचन / मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुमति नहीं दी जा सकती है। आचार संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग से सहमति लिए बिना ही अधिकारी की पोस्टिंग कर दी गई। इसके बाद आनन-फानन में मछलीपालन विभाग के विभागीय अधिकारियों के द्वारा कुटरचित कर दस्तावेजों में संशोधन या दस्तावेज़ो को बदलकर चुनाव आयोग को गुमराह करने की कोशिश की गई।


इस मामले पर शिकायतकर्ता के शिकायत करने के बाद संज्ञान लेते हुए संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने स्थिति को यथावत बनाए रखने के लिए आदेश जारी किया है। उन्होंने आदेश में साफ-साफ लिखा है कि, निर्देशों का उल्लंघन कर सुदेश कुमार साहू, सहायक संचालक मछलीपालन कार्यालय उप संचालक मछली पालन प्रशिक्षण संस्थान रायपुर द्वारा बिना अनुमति / सहमति के सहायक संचालक मछलीपालन जिला राजनांदगांव के पद का अतिरिक्त प्रभार दिनांक 12.10.2023 को ग्रहण किया गया है, जो नियम विरूद्ध है। मछलीपालन विभाग द्वारा नियम विरुद्ध कार्य किया गया है।

आचार सहिंता में भी नेताओं के दबाव में ले रहे फैसले :
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मछलीपालन विभाग के कुछ अधिकारी पहले की तरह नेताओं से संपर्क में है और आचार सहिंता के दौरान भी उनके बंगले से अपना काम निकलवा रहे हैं। आपको बता दें, राजनांदगांव में जिस अधिकारी की पोस्टिंग नियम विरुद्ध की गई है उनपर पूर्व में भी संगीन आरोप लगे है और अभीतक विभागीय जांच भी चल रही है, जिसे वे नेताओं से सम्पर्क साधते हुए अपना काम अच्छे से करवा रहें हैं। इस मामले में राजनांदगांव कलेक्टर की कार्यवाही भी संदिग्ध नज़र आ रही है, चूँकि राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में प्रतिलिपि कलेक्टर को भेजी है बावजूद इसके अबतक कलेक्टर के द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा उक्त अधिकारी को हटाने आदेश 18 अक्टूबर को जारी कर दिया गया था, 10 दिन बीत जाने के बाद भी विभागीय अधिकारीयों द्वारा मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।