रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। बस्तर के एक मंदिर में देवी को आंख आने के मौसम में चश्मे चढ़ाए जाते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे माता साल भर उनकी आंखों की रक्षा और देखभाल करती हैं। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के कोटमसर गांव में स्थित बस्तबूंदीन देवी मंदिर मेले में आस-पास के 30 गांवों के आदिवासी तीन साल में एक बार लोग इकट्ठा होते हैं और अपने घर और गांव के देवताओं को लाने के लिए कई अनुष्ठान करते हैं।

स्थानीय लोगों में एक पुरानी मान्यता है कि देवी एक नेत्र रोग विशेषज्ञ की तरह हैं जो सालों भर उनकी आंखों की रक्षा और देखभाल करती हैं और खासकर गर्मियों और बरसात के मौसम में जब आंख आती (संक्रामक रोग) है। इसलिए गांव के लोग देवी को प्रसन्न करने और अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए धूप का चश्मा चढ़ाते हैं।

कोटमसर में हाल ही में धार्मिक मेला आयोजित किया गया था जिसमें कई गांवों से सैकड़ों आदिवासी लोग एकत्रित हुए थे। लोगों का मानना है कि देवी एक इंसान हैं, उन्हें भी बीमारी हो सकती है, इसलिए हम उन्हें आंखों की बीमारी और अन्य सभी स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए चश्मा चढ़ाते हैं और वह हमें आशीर्वाद देती हैं। हमें यह भी विश्वास है कि उन्हें ऐसा चढ़ावा चढ़ाने से वह तीन साल में एक बार हमारी मनोकामनाएं पूरी करके प्रसन्न होती हैं। यह परंपरा कई सालों से निभाई जा रही है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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