बालोद/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के बालोद जिले में एक मस्त रिवाज चल रहा है। यहां आप किसी भी प्लेसमेंट कंपनी के द्वारा सरकारी नौकरी अस्थायी पोस्ट में लीजिए, इसके बाद जब शासन की योजनाओं का गलत तरीके से लाभ लेते पकड़े जाओ तब नौकरी से इस्तीफा देकर बैठ जाओ। ऐसा हम नहीं बालोद जिले के थानेदार उर्फ़ टीआई का कहना है। दरअसल, द मीडिया पॉइंट की टीम द्वारा जब शनिवार को बालोद के थानेदार को कॉल करके बालोद श्रम विभाग वाले मामले में एफआईआर हुई की नहीं पूछने के लिए कॉल किया गया, तब उनका यह स्पष्ट जवाब था। बालोद टीआई ने कहा कि उक्त श्रम कर्मचारी प्लेसमेंट कंपनी के द्वारा नौकरी में लगा था, उसका पोस्ट अस्थाई था, उसकी पत्नी का भी कोई सरकारी नौकरी नहीं है, इसलिए वह भी जिम्मेदार नहीं हैं, इसलिए इस मामले में एफआईआर बनता ही नहीं है, इसके बाद बालोद टीआई ने सीएम ड्यूटी का हवाला देते हुए फोन काट दिया। इस मामले की पूरी रिकॉर्डिंग टीआई के शासकीय नंबर सहित मौजूद है।
आपको बता दें, इस मामले में धारा 420 का मामला बनता है, बावजूद इसके बालोद टीआई ने इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं बनती यह कहते हुए फोन काट दिया। इससे सीधा संदेह प्रशासनिक अधिकारियों पर भी जा रहा है, जिससे बालोद श्रम विभाग के बाद वर्दी धारकों पर भी शक की सुई लटक रही है।
अगर कहा जाए तो बालोद टीआई के कहे अनुसार कोई भी व्यक्ति प्लेसमेंट कम्पनी के द्वारा शासकीय नौकरी में कैसे भी लग जाए, फिर शासकीय योजनाओं का दुरूपयोग करके मामला उठता देख इस्तीफा देकर गायब हो जाए। इस प्रकार के मामले में बालोद थाने द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जावेगी।
आपको बता दें, मामले में एक और ट्विस्ट है, उक्त दोषी श्रम कर्मचारी ने अपनी पत्नी का श्रमिक कार्ड बनाकर शासकीय योजनाओं का गलत तरीके से लाभ उठाया था, साथ ही उक्त कर्मचारी ने अपनी पत्नी के नाम से चॉइस सेंटर भी खोला है, अब सवाल यह उठता है कि जिस महिला (उक्त कर्मचारी की पत्नी) के नाम से श्रमिक कार्ड बना है तो वह चॉइस सेंटर की मालकिन कैसे हुई? अगर वह चॉइस सेंटर की मालकिन है तो फिर उसका श्रमिक कार्ड बना कैसे? इसके अलावा श्रमिक कार्ड बनाकर शासकीय योजनाओं का लाभ भी उठाया गया है, जो पूरी तरह फर्जीवाड़ा (सेक्शन 420) के अंदर आता है, तो फिर हाई कमांड से कार्यवाही लेटर जारी होने के बाद थानेदार द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?
