रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। अक्सर जब लोगों के पास ज्यादा प्रॉपर्टी होती है यानी कि एक से ज्यादा घर होते हैं. तो वह उनमें से एक को किराए पर दे देते हैं. जिससे हर महीने तय इनकम आना शुरू हो जाती है.
लेकिन घर किराए पर देने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. नहीं तो आप मुसीबत में पड़ सकते हैं. सबसे पहले तो जब घर किराए पर दिया जाए. तो रेंट एग्रीमेंट बनवाना जरूरी होता है. यह किसी भी कानूनी विवाद में काम आता है.
और आपको यह भी ध्यान रखना होता है कि आप कितनी अवधि के लिए किराएदार को मकान किराए पर दे रहे हैं. क्योंकि नियमों के मुताबिक अगर एक अवधि से ज्यादा किराएदार किसी मकान पर रहता है तो फिर वह उस पर दावा कर सकता है. यानी आपको अपने मकान से हाथ धोना बढ़ सकता है. क्या है इसके लिए नियम? कब कोई किराएदार मकान पर दावा कर सकता है चलिए आपको बताते हैं.
भारत में किराएदारों को और मकान मालिकों को दोनों को ही कुछ हक दिए गए हैं. रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत जिनका पालन करना होता है. लेकिन अगर किसी मकान में कोई किरायेदार लगातार 12 साल तक रहता है. तो इसके बाद वह उसे मकान पर अपना दावा ठोक सकता है. हालांकि इसके लिए नियम काफी कठिन है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो फिर आपकी प्रॉपर्टी विवादित हो जाती है. इसे बेचने में भी आपको समस्या झेलनी बढ़ सकती है. प्रॉपर्टी का या कानून आजादी से भी पहले का कानून है. और बहुत से किराएदार इस कानून का अवैध इस्तेमाल करके प्रॉपर्टी पर कब्जा करने का प्रयास करते हैं. इस कानून में किराएदार में साबित करता है की प्रॉपर्टी पर वह लंबे समय से रह रहा है. उसे किसी ने रोका टोका नहीं है. हालांकि दावे को सही साबित करने के लिए प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज बिजली बिल, पानी का बिल, टैक्स रसीद आदि जमा करने होते हैं. इसके साथ ही गवाहों के एफिडेविट भी लगते हैं. जो इतना आसान काम नहीं हैं.
मकान मालिक इस तरह की स्थिति से बचने के लिए सबसे पहले तो जिसे भी मकान किराए पर देता है रेंटल एग्रीमेंट जरूर बनवाएं. रेंटल एग्रीमेंट 11 महीने का होता है. इसे हर साल रिन्यू कराया जा सकता है. अगर इस बीच आपको लगता है कि आपका किराएदार ठीक नहीं है और उसकी इंटेंशन ठीक नहीं है. तो आप उसे रेंट एग्रीमेंट के सहारे मकान खाली करने को भी कह सकते हैं. समय-समय पर किराएदार बदलते रहना इस समस्या से बचने का सही समाधान है.