मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। रविवार को महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार में विभागों का बंटवारा हुआ और रविवार से ही कुछ मंत्रियों की नाराजगी सामने आनी शुरू हो गई। चर्चा है कि शिवसेना के शिंदे गुट के तीन मंत्री नाराज हैं। बताया जा रहा है कि शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर, दादा भुसे और संदीपन भूमरे अपने पोर्टफोलियो से खुश नहीं हैं। इस बात ने सीएम एकनाथ शिंदे की टेंशन बढ़ा दी है। उन्होंने बयान दिया है कि, ‘कोई विभाग अहम है या नहीं, ये बात अहम नहीं है। अहम यह बात है कि आप अपने विभाग को कितना अहम बना पाते हैं।’ इस नाराजगी पर विपक्षी नेता अजित पवार ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि, ‘अभी से नाराजगी सामने आने लगी है। नाराजगी इसी तरह बढ़ती रही और विधायकों ने अपना समर्थन वापस लिया तो सरकार के पास 145 के नंबर्स नहीं रह जाएंगे। जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन शिंदे-फडणवीस सरकार गिर जाएगी।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कोई खाता वजनदार या कम वजनदार नहीं होता। आप अपने काम से किसी भी विभाग को वजनदार बना सकते हैं। एनसीपी के एक और सीनियर नेता छगन भुजबल ने इन मंत्रियों की नाराजगी पर कमेंट करते हुए कहा कि ये लोग ही कहते थे ना कि इन्होंने सत्ता के लिए शिवसेना में बगावत नहीं की है, मुद्दों के लिए आवाज़ उठाई है। फिर अब क्यों रो रहे हैं?
तीनों मंत्रियों ने नाराजगी की बात से इनकार किया, जो मिला अब स्वीकार किया :
दीपक केसरकर का बयान कल ही आ गया था। उन्होंने कहा था कि, ‘उन्हें स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा मंत्री बनाया गया है। उनके क्षेत्र कोंकण में इसकी उपयोगिता क्या है? यह विभाग तो किसी मराठवाड़ा रीजन के मंत्री को दिया जाना चाहिए था।’ इसका जवाब आज सीएम एकनाथ शिंदे ने यह कह कर दे दिया कि, ‘जो मंत्री होता है, वो किसी क्षेत्र विशेष का नहीं होता, वो पूरे राज्य का होता है।’ दरअसल दीपक केसरकर पर्यटन विभाग चाह रहे थे, लेकिन वे यह भूल गए कि महा विकास आघाड़ी सरकार में वे मंत्री भी नहीं थे।
दर्द ज़ुबां तक नहीं आया, बीजेपी के मंत्रियों ने फ़र्क दिखाया :
यहां बीजेपी के मंत्रियों की तारीफ करनी पड़ेगी। चंद्रकांत पाटील बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्हें उच्च और तकनीकी शिक्षा, कपड़ा उद्योग और संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया है। सुधीर मुनगंटीवार पिछली बीजेपी-शिवसेना सरकार में वित्त मंत्री थे। उन्हें वन, मत्स्य और सांस्कृतिक गतिविधियों का मंत्री बनाया गया है। फडणवीस ने आठ बड़े विभाग अपने पास रखे है। इससे उनका थोड़ा स्वार्थी होना तो समझ में आता है, लेकिन एक बात की तारीफ करनी होगी कि उन्हें बीजेपी को राज्य में एकजुट रखना आता है। बीजेपी में किसी ने यह नहीं पूछा कि यह तो ठीक है कि मंगल प्रभात लोढ़ा सबसे अमीर विधायक और बिल्डर हैं और फडणवीस के बेहद करीब हैं। इसके अलावा उन्होंने ऐसा पार्टी के लिए क्या किया है कि किसी और की बजाए उन्हें मंत्री बनने के लिए उपयुक्त समझा गया है? क्या इससे टैलेंट मार नहीं खाता है? किसी ने फडणवीस से यह नहीं पूछा कि उनके पास जो आठ विभाग हैं, उसके बाद का सबसे अहम विभाग सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रकांत पाटील की बजाए राधाकृष्ण विखे पाटील जैसे बीजेपी में नए आए हुए मंत्री को क्यों दिया गया है?