बिलासपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। भू अर्जन की कार्रवाई किए बिना किसान के खेत पर कब्जा कर सड़क का निर्माण करा दिया गया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश के चार साल बाद भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया है।
नाराज कोर्ट ने जांजगीर-चांपा जिले के तत्कालीन कलेक्टर यशवंत कुमार व जितेंद्र शुक्ला व दो अन्य अफसरों के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में जार्ज फ्रेम कर व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने 21 अगस्त की तिथि तय कर दी है।
जांजगीर-केरा रोड निवासी कमलेश सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर जिला प्रशासन के साथ ही पीडब्ल्यूडी व भूअर्जन अधिकारी द्वारा उसकी जमीन पर जबरिया कब्जा कर सड़क बनाने की शिकायत दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता किसान ने अपनी याचिका में बताया था कि ग्राम कोसा में खसरा नंबर 108/1 में उसकी जमीन है। उक्त जमीन में बिना भूमि अधिग्रहण किये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कर दिया गया है।
कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर विधिवत भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई कर मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। कलेक्टर के समक्ष शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में हुई। वर्ष 2001 में कलेक्टर जांजगीर-चांपा को नोटिस जारी कर छह महीने के भीतर याचिकाकर्ता भूमि स्वामी के जमीन का अधिग्रहण कर नियमों के अनुसार मुआवजा का वितरण करने के निर्देश दिए थे।
हाई कोर्ट के निर्देश के छह महीने बाद भी जब कलेक्टर कार्यालय से किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई तब किसान ने एक बार फिर कलेक्टर को हाई कोर्ट के आदेश की कापी के साथ आवेदन पेश कर मुआवजे की मांग की। लगातार जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट के आदेश के चार साल बाद भी जब मुआवजा नहीं मिला तब किसान ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दो आइएएस अफसर व दो अन्य अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। दो आइएएस सहित सभी चारों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।