नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर) को देश का नया प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। 61 वर्षीय जनरल तीनों सैन्य प्रमुखों जनरल मनोज पांडे, एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और एडमिरल आर हरि कुमार से सीनियर हैं। इनको सीमा संबंधी मसलों पर महारथ हासिल है। सबसे खास बात ये है कि पूर्व सीडीएस बिपिन रावत जिस बटालियन का हिस्सा थे उसी 11 गोरखा राइफल्स से चौहान भी आते हैं। इसके अलावा चौहान एनएसए अजीत डोभाल के करीबी भी हैं, चौहान को जो लोग काफी पहले से जानते हैं, वो बताते हैं कि उनको बास्केटबॉल, गोल्फ खेलना पसंद है। वो काफी एक्टिव और तेजतर्रार ऑफिसर हैं। नए सीडीएसअनिल चौहान चौहान एक लेखक भी हैं, इनकी पहली पुस्तक Aftermath of a Nuclear Attack: A Case Study on Post-strike Operations है जोकि 2010 में प्रकाशित हुई थी, और उन्होंने अभी-अभी एक और पुस्तक मिलिट्री जियोग्राफी ऑफ इंडियाज नॉर्दर्न बॉर्डर्स पूरी की है। चौहान 11 गोरखा रायफल्स की 6वीं बटालियन से हैं, जबकि बिपिन रावत 5/11 जीआर से थे। जून में सरकार ने नए नियमों का ऐलान किया था जिसमें कहा गया था सीडीएस की सेवा को 65 साल तक बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो चौहान छह सेना प्रमुखों के साथ मिलकर काम करेंगे।

सरकार का बिल्कुल सही चुनाव- जनरल शौकिन :
सैन्य मामलों के विशेषज्ञ (रि.) लेफ्टिनेंट जनरल शौकिन चौहान नए सीडीएस को लगभग 45 सालों से जानते हैं। शौकीन बताते हैं कि अनिल बेहतरीन सैन्य नेताओं में से एक हैं। उनके काम की अपनी प्रतिष्ठा है। उन्होंने कहा कि वो एक बड़ी जिम्मेदारी ले रहा है और सभी की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, वो काफी परिपक्व और बुद्धिमान है। जनरल शौकिन चौहान ने कहा कि नए सीडीएस भारत की सीमा के मुद्दों को अन्य लोगों की तुलना में बेहतर समझता है। उन्होंने कहा कि बिपिन रावत के उत्तराधिकारी के रूप में सही व्यक्ति को चुना गया है।

सीमा संबंधी मुद्दों पर गहरी पकड़ :
एक वरिष्ठ सेवारत अधिकारी ने कहा कि बॉर्डर संबंधी मुद्दों में ये गहरी जानकारी और गहरा ज्ञान के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ भी हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उसी रेजीमेंट के अधिकारी के रूप में चौहान रावत के करीबी माने जाते थे जो उन्हें बहुत सम्मान देते थे और उनकी विशेषज्ञता को महत्व देते थे। जब इस महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर एक सैन्य अड्डे और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एक प्रमुख सड़क का नाम रावत के नाम पर रखा गया, तो चौहान समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली से उड़ान भर गए।

बालाकोट के दौरान थे डीजीएमओ :
चीन विशेषज्ञ चौहान (61) अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक सैन्य मामलों के विभाग में सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। वह 2019 में बालाकोट हवाई हमलों के दौरान सेना के सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के महानिदेशक थे, जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को तबाह कर दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान (सेवानिवृत्त) भारत के दूसरे सीडीएस के रूप में कार्यभार संभालने के बाद चार सितारा रैंक के जनरल का पद ग्रहण करेंगे।

अजीत डोभाल के साथ काम का अनुभव :
पिछले साल पूर्वी सेना कमांडर के रूप में अपने रिटायरमेंट के बाद वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में सैन्य सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को अगले सीडीएस के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक कार्य करेंगे।

11 गोरखा रायफल्स में कमीशन :
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ और उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्रदान किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान पिछले साल मई में सेवानिवृत्त हुए थे। उस समय वह पूर्वी सेना कमांडर के रूप में कार्यरत थे। पूर्वी सेना कमांडर के रूप में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत की समग्र युद्ध तैयारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी निभाई :
वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली और सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई 2021 में सेवानिवृत्ति तक यह पदभार संभाला।

कई पदकों से सम्मानित :
इन कमान नियुक्तियों के अलावा वह महानिदेशक, सैन्य अभियान के प्रभार समेत महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया। सेवानिवृत्त होने के बाद भी, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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