रेत माफिया की भूख अब पर्यावरण को लील रही है और प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है।धमतरी जिले के ग्राम परखंदा से एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। यहां सरकारी नर्सरी जो गांव के हरियाली और पर्यावरण संतुलन के लिए बनाई गई थी वह अब उजड़ रही है। वजह है अवैध रेत खनन और भारी वाहनों का बेरोकटोक आवागमन।

ग्रामीणों का आरोप है कि ईशु पटेल, दुर्गेश यादव सहित कई ट्रैक्टर मालिक रेत खनन में लगे हैं, और उनके ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के कारण नर्सरी में लगे सैकड़ों पौधे या तो उखड़ गए हैं या मिट्टी सहित दबकर नष्ट हो चुके हैं।गौर करने वाली बात यह है कि इस नर्सरी में बरगद, अशोक, पीपल जैसे पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाने वाले पौधे लगाए गए थे। लेकिन रेत ढोते ट्रैक्टरों ने उन्हें कुचल दिया जैसे प्रकृति की हरियाली रेत में दफन कर दी गई हो।

ग्रामीणों का गुस्सा अब फूट पड़ा है। उन्होंने सरपंच और स्थानीय प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है अगर खनन नहीं रुका, तो गांववाले सड़कों पर उतरेंगे, आंदोलन होगा।बड़ा सवाल ये है क्या कुछ लोगों की मुनाफाखोरी के आगे पूरा एक गांव की हरियाली कुर्बान कर दी जाएगी? क्या प्रशासन तब जागेगा, जब हर पेड़ का तना रेत में दफन मिल जाएगा?