नई दिल्ली/रायपुर। द मीडिया पॉइंट। बॉर्डर पर ग्राउंड लेवल पर अकसर मुंह की खाने वाले दुश्मनों, खासकर पाकिस्तान अब ड्रोन के जरिये अपनी हरकतों को बढ़ावा दे रहा है। नार्दन के साथ ही वेस्टर्न बॉर्डर पर संदिग्ध ड्रोन गतिविधियों पर ‘चील-सी नजर’ रखने यानी अपनी बढ़ती निगरानी और काउंटर-ड्रोन कैपेबिलिटीज के हिस्से के रूप में भारतीय सेना ने अपने मेरठ स्थित रिमाउंट वेटरनरी कोर सेंटर (Meerut-based Remount Veterinary Corps Centre) में चीलों (black kites) और डॉग्स को ट्रेनिंग देना शुरू किया है।

अब दुश्मनों के लिए आसान नहीं होगी घुसपैठ :
भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास में यहां चीलों और कुत्तों को ट्रेनिंग देने के लिए आर्मी के इस प्रोजेक्ट पर फोकस किया गया है। इस स्पेशल प्रोजेक्ट को 2020 में शुरू किया गया था, जब पश्चिमी सीमा पर ड्रोन घटनाओं में भारी वृद्धि देखी गई थी। उत्तराखंड के औली सैन्य स्टेशन में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना संयुक्त अभ्यास ‘Yudh Abhyas’ कर रही है। यहां भारतीय सेना ने ट्रेंड चील और डॉग के पेयर्स का डेमोन्स्ट्रेशन किया।

चीलों पैर में एक माउंटेड सर्विलांस कैमरा( mounted surveillance camera) और जियो-पोजिशनिंग सिस्टम ट्रैकर(geo-positioning system tracker) यानी GPS लगाया गया है, जो पक्षी के आसमान में होने पर जमीन पर मौजूद हैंडलर को रियल-टाइम जानकारी देता है। अभ्यास के दौरान एक क्वाडकॉप्टर(quadcopter) को अभ्यास क्षेत्र में उड़ते हुए देखा गया, हैंडलर ने तुरंत चील को आसमान में तैनात कर दिया। पक्षी ने क्वाडकॉप्टर पर झपट्टा मारा और उसे अपने पंजों से जमीन पर पटक दिया। यह एक ट्रेनिंग का हिस्सा था। इसमें यह देखना था कि दुश्मन के ड्रोन देखकर चील का क्या रियेक्शन-एक्शन होता है। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा-“प्रोजेक्ट की टेस्टिंग चल रही है और पहली बार किसी अभ्यास में इसका इस्तेमाल किया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि कई यूरोपीय देश और संयुक्त राज्य अमेरिका निगरानी और ऐसी गतिविधियों को रोकने (interception) के लिए पक्षियों का उपयोग करते हैं।

इस ट्रेनिंग के सफल सत्यापन के बाद भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश करने वाली उड़ने वाली वस्तुओं (ड्रोन आदि) पर नजर रखने के लिए प्रशिक्षित चीलों को सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। बता दें कि हाल के दिनों में पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई ड्रोन घुसपैठ के मामले सामने आए हैं।

यह भी जानिए :
युद्ध अभ्यास 2022 में दो चीलों को तैनात किया गया है। कई अन्य चीलें उड़ने को तैयार हैं। उम्मीद है कि इन्हें भी जल्द बॉर्डर पर तैनात किया जाएगा। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा-“चीलें लुप्तप्राय प्रजातियों (endangered species) के अंतर्गत नहीं आती हैं, यही कारण है कि बॉर्डर पर तैनाती के लिए इन्हें चुना गया है। यह एक शिकारी पक्षी है, जिसमें उड़ने वाली वस्तु पर हमला करने की सहज प्रवृत्ति होती है।” इसके अलावा कैनाइन जर्मन शेफर्ड नस्ल (canine is of German Shepherd breed) के डॉग्स भी ट्रेंड किए जा रहे हैं। इन्हें इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है कि यह उड़ने वाली वस्तु के बारे में सैनिकों या हैंडलर को तुरंत अलर्ट कर देते हैं। इंसानों की तुलना में कुत्तों में आवाज सुनने की बेहतर क्षमता होती है। आवाज सुनते ही कुत्ता भौंकता है और मालिक को इसके बारे में सचेत करता है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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