रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। आज देश के दूसरे प्रधानमंत्री और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की 57वीं पु्ण्यतिथि हैं। पूरा देश आज अहिंसा के इस महान उपासक को नमन कर रहा है और उनकी दी गई सीख को याद कर रहा है।
अपना जीवन देश को समर्पित किया :
आपको बता दें कि सादा जीवन उच्च विचार को अपना सिद्धांत मानने वाले लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रभावित थे और इसी वजह से वो उनके साथ असहयोग आंदोलन में कूद पड़े थे, उन्होंने इस दौरान देश सेवा का संकल्प लिया था और उन्होंने उस वचन को अपने जीवन की अंतिम सांस तक निभाया भी, आपको बता दें कि 9 साल तक जेल में बंद रहे थे और अंग्रेजों की यातनाएं और अत्याचार को सहा था।
लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे लेकिन…
लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे, शास्त्री तो उनकी उपाधि थी , जो कि काशी हिंदू विवि की ओर से उन्हें मिल गई थी जो कि उनका सरनेम बन गया। लाल बाहदुर शास्त्री 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक देश के पीएम रहे, उनकी मृत्यु यूएसएसआर के ताशकंद में हुई थी, तब वहां कि रिपोर्ट में कहा गया था कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी पर उनकी मौत की वजह आज तक संदेह के घेरे में है।
लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार जो बदल सकते हैं आपकी जिंंदगी :
लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से नहीं मिलता बल्कि प्रेम और अहिंसा से मिलता है।
हम सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं हैं, पूरे देश को मजबूत होना होगा
यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत का सिर शर्म से झुक जाएगा।
हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है,लोगों में एकता स्थापित करना।
देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए,गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
दहेज लेना और देना दोनों पाप है, कन्या धन ही सबसे बड़ा धन है