रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। भारत में चीते की आबादी बेतहाशा बढ़ने वाली है। साउथ अफ्रीका से आने वाले समय में 100 से ज्यादा चीते भारत लाए जाएंगे। इसको लेकर डील भी पक्की हो गई है। अगले महीने 12 चीते भारत लाए जाने हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि अगले 8-10 साल में सालाना कम से कम 12 चीते का भारत में ट्रांसलोकेशन किया जाएगा, ताकि देश में इस बिग की आबादी को स्थापित किया जा सके। भारत एशियेटिक चीता का घर हुआ करता था, लेकिन इस जानवर को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। बताया जाता है कि अंग्रेजों और राजाओं ने अपने मनोरंजन के लिए इसका शिकार किया और कई चीते मार गिराए। चीते के ट्रांसलोकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आदेश जारी किया था। कोर्ट ने कहा था एक्सपेरिमेंट के तौर पर अफ्रीकी चीते को भारत लाया जाना चाहिए और उनके रहने के बेहतर प्रबंध किए जाने चाहिए।

भारत लाए गए नाम्बिया के चीते :
हालांकि, इसके बाद साउथ अफ्रीका से डील में काफी देरी का सामना करना पड़ा। चीते का पहले बैच पिछले साल अगस्त महीने में ही भारत लाया जाना था, लेकिन सितंबर महीने में 8 चीते भारत लाए गए थे। बिग कैट के ट्रांसलोकेशन से पहले अगस्त में उन्हें क्वारंटीन में भी रखा गया था। वे चीते अफ्रीकी देश नाम्बिया से लाए गए थे। वे चीते मध्य प्रदेश के कुणो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चीते को रिलीज करने के लिए नेशनल पार्क पहुंचे थे।

कुणा पार्क में बीमार पड़ी साशा :
पिछले साल सितंबर के मध्य में नामीबिया से लाकर मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए आठ अफ्रीकी चीतों में से एक में हेपेटोरेनल (गुर्दे और यकृत से जुड़ा) संक्रमण पाया गया है। अधिकारी ने कहा कि यह अस्वस्थ चीता मादा है और इसे साशा के नाम से जाना जाता है। वह चार साल से थोड़ी अधिक उम्र की है। मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने बताया, साशा नाम के चीते की हालत में सुधार हुआ है। इसका इलाज तीन पशु चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है और वे नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों के साथ लगातार संपर्क में हैं। इसे गुर्दे और यकृत की कुछ समस्याएं हैं।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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