नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। पाकिस्तान में संकट गहराता चला जा रहा है। मुल्क की कंगाली के बीच बढ़ती महंगाई से आवाम कराह रही है। आम लोगों को खाने के वांदे हैं और पाक के सियासतदां सियासी जंग में मशगूल हैं। पाक सरकार के खिलाफ लोगों में भारी गुस्सा है, देशभर में विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं और मुल्क अंदर से टूट रहा है। देश को बचाए रखने के लिए पाक के सामने कोई कारगर रास्ता नहीं सूझ रहा। कंगाली, भुखमरी और बदहाली के बीच जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में जनता का विद्रोह बहुत बड़ा रूप इख्तियार कर सकता है। ऐसे में पाकिस्तान का जैसा चरित्र रहा है, वहां फिर से मार्शल लॉ लगाए जाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
5 पॉइंट में समझने की कोशिश करते हैं कि पाकिस्तान के हालात जो बयां कर रहे हैं, उन परिस्थितियों में कैसे मुल्क का टूटना तय माना जा रहा है।
- एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट ठप होने की कगार पर :
कंगाली की मार झेल रहे पाक पर एक्सपोर्टर्स ने भी तगड़ा बम फोड़ा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाक को जहाजरानी एजेंटों ने सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी है। ऐसे में आयात-निर्यात पूरी तरह से ठप हो सकता है। इन कंपनियों का कहना है कि बैंकों ने डॉलर की कमी के चलते उन्हें माल ढुलाई देना बंद कर दिया है। पाक शिप एजेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल रऊफ ने वित्त मंत्री इशाक डार को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी। - सिंध, बलूचिस्तान में अलगावादी आंदोलन :
पाक की बदहाली के बीच सिंध और बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन तेज हो गया है। सिंध को भारत में मिलाने के लिए चल रहे आंदोलन के मुखिया शफी बुरफत का कहना है कि पाक सरकार सिंध के लोगों के साथ भेदभाव करती है, इसलिए यहां के लोग पाकिस्तान से आजाद होना चाहते हैं। - पाकिस्तान पर तालिबान के लगातार बढ़ते हमले :
अफगानिस्तान में तालिबान के दुबारा उदय के बाद से ही आतंक का पोषक पाकिस्तान संकट में है। यहां आतंकी हमलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। दिसंबर में ही टीटीपी के आतंकियों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू कंटोनमेंट सेंटर पर हमला कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। वहीं कुछ दिन पहले आईएसआई के अधिकारी को भी सोर्स के जरिये बुलवाकर उनकी हत्या कर दी गई थी। पेशावर में आत्मघाती हमले में पुलिसवालों की जानें गईं, जिसके बाद सेना और आईएसआई पर भी सवाल उठे। इन दिनों टीटीपी के लड़ाके लगातार पाक पर हमले कर रहे हैं। - पीओके में भारत में मर्जर की मांग :
पीओके में लोग भारत-मर्जर के नारे लग रहे हैं। एक वायरल वीडियो में मांग की जा रही है कि कारगिल सड़क को फिर से खोला जाए और भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में बाल्टिस्तान को दोबारा से मिलाया जाए। टिप्पणीकार अशोक भाटिया ने अपने एक लेख में लिखा है कि पीओके के लोगों की मांग उन्हें भारत के लद्दाख क्षेत्र में मिला देने की है। जनता पाक सरकार के खिलाफ एकजुट है और बदहाली के लिए जिम्मेदार शहबाज सरकार को लेकर गुस्से में है। - सऊदी और चीन जैसे खास दोस्तों ने छोड़ा साथ :
बिगड़ते हालात के बीच पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सऊदी अरब और चीन मदद करेंगे, लेकिन दोनों ही देशों ने उसे झटका दिया है। बल्कि चीन ने तो कर्ज की पुरानी किस्त लौटाने को कहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान की इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगे चीनी इंजीनियर्स की सुरक्षिा सुनिश्चित करने को भी कहा है। दूसरी ओर पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर के सऊदी दौरे के दौरान पाक को मदद की उम्मीद जगी थी, लेकिन कुछ ठोस जवाब नहीं मिला। सऊदी ने बस इतना जरूर कहा कि पाक में जमा तीन अरब डॉलर अभी नहीं निकाले जाएंगे।
अब आगे क्या?
पाकिस्तान के पास आखिरी उम्मीद आईएमएफ है, जिसने 23वीं बार कर्ज देने से पहले ऐसी शर्तें रख दी हैं, जो पाक को और तबाह कर सकता है। पाक पीएम शहबाज शरीफ ने इन शर्तों को कल्पना से परे बताया है। आईएमएफ ने वित्तीय जानकारियां साझा करने के साथ ही सख्त शर्त रखी है कि इन पैसों को चीन का कर्ज चुकाने में खर्च न किया जाए। आईएमएफ के कर्ज के बिना एक-एक दिन देश चलाना मुश्किल होगा, जबकि कर्ज लेने पर महंगाई बढ़ेगी और फिर अराजकता के खिलाफ जनता सड़कों पर होगी। यानी पाकिस्तान के लिए आईएमएफ की मदद ने आगे कुआं, पीछे खाई वाली स्थिति पैदा कर दी है।