ईरोड/रायपुर। द मीडिया पॉइंट। तमिलनाडु में देश के चर्चित सत्यमंगलम बाघ अभ्यारण्य में सफेद बाघों के खतरों को लेकर पर्यावरणविदों ने वन अधिकारियों को सचेत किया है। पर्यावरणविदों ने सफेद बाघों के पिछले दो वर्षों से नजर न आने पर चिंता जतायी। उन्होंने शिकारियों के खतरे को लेकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
इरोड जिले के पर्यावरणविदों ने वन अधिकारियों से यह पता लगाने का आग्रह किया है कि क्या सत्यमंगलम बाघ अभयारण्य में सफेद बाघों के जीवन के लिए खतरा है। कुछ दिनों पहले वन अधिकारियों को कुछ लोगों के बारे में गुप्त सूचना मिली थी, जो अवैध रूप से अस्थायी रूप से तम्बू बनाकर सत्यमंगलम के जंगल में रहते थे।
इस सूचना पर वन अधिकारियों ने विशेष स्थान पर छापेमारी की। इस दौरान तम्बू की जांच पड़ताल की। इस छानबीन में तम्बू से कई बोरी बरामद की गई। इन बोरियों में बाघ की खाल, बाघ के पंजे और हड्डियां बरामद की गई। इस मामले में वन विभाग ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान पंजाब के रत्ना (40), मंगल (28), कृष्णन (59) और राजस्थान से राम चंदर (50) के रूप में की गई है। वहीं, वन अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार चारों लोग लुटेरे हैं। इस मामले में वन अधिकारी विभिन्न कोणों से मामले की जांच कर रहे हैं। अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि पकड़े गए लोग सत्यमंगलम बाघ अभ्यारण्य में अवैध रूप से शिकार करने के धंधे में शामिल थे या नहीं।
इस बीच, इरोड के पर्यावरणविदों की मांग है कि वन विभाग यह पता लगाए कि क्या सफेद बाघों का अवैध शिकार किया गया या वे घने जंगल में चले गए। क्योंकि सफेद बाघ दो साल पहले नीलगिरि वन परिक्षेत्र के अविलांची वन क्षेत्र में देखे गए थे। पर्यावरणविदों वन विभाग से आग्रह किया है कि यह पता लगाया जाए कि क्या उनके कोई साथी अन्य वन क्षेत्रों में रह रहे हैं और वन्यजीवों के शिकार में लिप्त हैं।