उज्जैन/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। देश मे सबसे पहले उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के आंगन में होली मनाई जाएगी। 7 मार्च मंगलवार को सुबह भस्म आरती में बाबा महाकाल को गुलाल लगाकर पुजारी रंगोत्सव मनाएंगे। इससे पहले सोमवार को भी परंपरानुसार संध्या आरती में बाबा को अबीर, गुलाल लगाया जाएगा। आरती के बाद महाकाल मंदिर परिसर में मंत्रोचार के साथ होलिका दहन किया जाएगा। होली से लेकर रंगपंचमी तक अब हर दिन रंगों की बौछार होगी और जन-मन इससे सराबोर होगा। इस बार होली का सबसे ज्यादा उत्साह महाकाल मंदिर में है। देश में सबसे पहले महाकाल के आंगन में ही होली मनाई जाती है। होलिका दहन के साथ ही सुबह भस्मारती के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित रहेंगे। जो कि बाबा महाकाल को नमन कर जमकर एक-दूसरे को गुलाल लगाएंगे।

2 दिन पहले मनाई जाएगी होली :
देशभर मे भले ही होली का पर्व 8 मार्च 2023 बुधवार को मनाया जाएगा, लेकिन बाबा महाकाल के दरबार में इस पर्व की शुरूआत इस बार 2 दिनों पूर्व 6 मार्च को ही हो जाएगी। वैसे तो हर वर्ष बाबा महाकाल के आंगन में 1 दिनों पूर्व होली का यह उत्सव मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों में घट बड़ होने के कारण ग्वालियर पंचांग के अनुसार 6 मार्च की शाम को प्रदोष काल में मंत्रोच्चार के साथ होलिका का दहन किया जाएगा। जिसके बाद 7 मार्च की सुबह बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाकर यह उत्सव मनाया जाएगा।

ग्वालियर के पंचांग के अनुसार मनाए जाते है पर्व – पं महेश पुजारी :
देश मे सबसे पहले उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के आंगन में होली मनाई जाती है। 7 मार्च मंगलवार कि सुबह भस्म आरती में बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाकर पुजारी इस रंगोत्सव की शुरूआत करेंगे। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 6 मार्च को सबसे पहले प्रदोषकाल में होलिका दहन होगा। राजाधिराज भगवान महाकाल 7 मार्च को तड़के 4 बजे हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे। इसके बाद शहरवासी रंग पर्व मनाएंगे। पं.महेश पुजारी ने बताया की मंदिर में हर त्यौहार ग्वालियर पंचांग के अनुसार मनाए जाते हैं।

मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा पर प्रदोषकाल में होलिका के पूजन व होलिका दहन का विधान है। पंचांग की गणना के अनुसार 6 मार्च को सुबह चतुर्दशी तथा शाम को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि होने से महाकाल मंदिर में शाम को होलिका का पूजन व दहन होगा। संध्या आरती के बाद पुजारी, पुरोहित परिवार की महिलाएं होलिका का पूजन करेंगी। इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ होलिका का दहन किया जाएगा।

भद्राकाल के प्रभाव के कारण गोधूलि बेला मे होगा होलिका दहन :
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने बताया कि इस बार भद्राकाल होने के कारण 6 मार्च को गोधूलि बेला में होलिका पूजन किया जाएगा। 7 मार्च को भद्रा का प्रभाव होने के कारण इस बार सूर्योदय के पूर्व ही मंदिर में होलिका दहन होगा। मंदिर में होलिका दहन के पहले पुजारी को पुरोहित परिवार की महिलाएं और श्रद्धालु होलिका का पूजन मंत्रोचार के साथ करेंगे।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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