नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज अपने सबसे भारी LVM-3 रॉकेट को लॉन्च कर दिया है। ये रॉकेट 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट के साथ लो अर्थ ऑर्बिट के लिए रवाना हुआ है। इसरो ने बताया कि ब्रिटेन की कम्यूनिकेशन कंपनी वनवेब के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में 36 सैटेलाइट को प्रोजेक्ट किए जाएगा। इन सैटेलाइट को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में 43.5 मीटर लंबे रॉकेट से प्रोजेक्ट किया गया है।
इंटरनेट सर्विस को मिलेगा फायदा :
एलवीएम3-एम3 वनवेब इंडिया-2 मिशन ने 36 सैटेलाइट्स के साथ श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी है। दरअसल ब्रिटेन की कंपनी नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड यानी वनवेब ग्रुप ने इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड से करार किया था, जिसके मुताबिक धरती की निचली कक्षा में 72 सैटेलाइट्स को प्रोजेक्ट करना था। इससे इंटरनेट सर्विस को फायदा मिलेगा।
पहले भी स्पेसएक्स के रॉकेट से 40 सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है वनवेब :
वनवेब ग्रुप ने बताया है कि आज का प्रोजेक्ट 18वां और साल 2023 का तीसरा प्रोजेक्ट है। वहीं, इसरो के लिए 2023 का यह प्रोजेक्ट है। 23 अक्टूबर 2022 को वनवेब ग्रुप के लि 36 सैटेलाइट प्रोजेक्ट किए गए थे। वनवेब ने बताया कि 7 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। अब बेहद जरूरी प्रोजेक्ट बचा है। वनवेब ने पहले भी स्पेसएक्स के रॉकेट से 40 सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है।
616 होगी पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट्स की संख्या :
बता दें कि इसरो की ओर से 36 और सैटेलाइट्स को प्रोजेक्ट करने के बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट्स की संख्या 616 हो जाएगी। ये सैटेलाइट वैश्विक सेवाएं शुरू करने के लिए पर्याप्त हैं। एलवीएम3 रॉकेट को पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके3 (GSLV MK3) के नाम से जाना जाता था।