रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के आइएएस और आइपीएस अधिकारियों की धमक इस चुनाव में देखने को मिलेगी। कांग्रेस और भाजपा से एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी टिकट की दौड़ में हैं। अब तक आइएएस, राज्य प्रशासनिक सेवा, पुलिस और शिक्षक चुनावी राजनीति में परचम लहरा चुके हैं। पिछले चुनाव में रिटायर आइएएस शिशुपाल सोरी कांग्रेस की टिकट पर कांकेर से विधायक चुने गए। वहीं, वीआरएस लेकर चुनाव मैदान में उतरे आइएएस ओपी चौधरी को खरसिया सीट पर हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में प्रमुख सचिव रहे गणेश शंकर मिश्रा, सरजियस मिंज, नीलकंठ टेकाम सहित अन्य अधिकारी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

प्रदेश की राजनीति में सबसे सफल ब्यूरोक्रेट के रूप में प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने पहचान बनाई। पिछले चुनाव में एसीएस रहे सरजियस मिंज ने कांग्रेस का दामन थामा था। उम्मीद थी कि उनको जशपुर या कुनकुरी से चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि उनकी टिकट पक्की नहीं हो पाई। मिंज के पहले रिटायर्ड आइएएस आरपीएस त्यागी, इस्तीफा देने वाले डीएसपी विभोर सिंह व निरीक्षक गिरिजा शंकर जौहर कांग्रेस में गए थे। विभोर को कांग्रेस ने कोटा से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी से चुनाव हार गए।

पूर्व आइपीएस की पत्नी हैं मंत्री :
सेवानिवृत्त आइजी रवींद्र भेड़िया की पत्नी अनिला भेड़िया को पिछले चुनाव में कांग्रेस ने टिकट दिया और चुनाव जीतने के बाद उनको महिला बाल विकास मंत्री बनाया गया। आइजी रहे आरसी पटेल भी रिटायर होने के बाद कांग्रेस खेमे में गए थे। वहीं, पूर्व डीजी राजीव श्रीवास्तव ने पिछले लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन चुनाव के बाद वह सामाजिक गतिविधियों में आगे बढ़ गए।

आदिवासी समाज के अफसर ठोकेंगे चुनावी ताल :
सर्व आदिवासी समाज भी इस चुनाव में उम्मीदवार उतारने जा रहा है। इसमें कई रिटायर अफसर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। नवंबर-दिसंबर में भानुप्रतापपुर उपचुनाव में रिटायर आइपीएस अकबर राम कार्राम ने निर्दलीय ताल ठोंकी थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.