रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी कांग्रेस के लिए गुटबाजी मुश्किलें खड़ी कर सकती है। राज्य में इसी साल होने वाले चुनाव को लेकर हाल ही में कांग्रेस ने सभी संभागों में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और सीएम भूपेश बघेल के बीच अनबन की बढ़ गई है। दावा किया जा रहा है कि मोहन मरकाम और टीएस सिंहदेव के बीच बढ़ती नजदीकियों ने सीएम की चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में ढाई साल में सीएम बदलने की पॉलिसी को लेकर टीएस सिंहदेव की नाराजगी कई बार सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने हाई कमान के सामने एक मांग रखी है। कहा जा रहा है कि सीएम ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग की है। जिसके बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरियां और बढ़ गई हैं। राज्य के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। मोहन मरकाम भी इसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक 5 महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग ने चिंताएं बढ़ा दी हैं।

विधानसभा और लोकसभा के लिए करे काम :
भूपेश बघेल ने पार्टी हाई कमान के सामने प्रदेश अध्यक्ष बदलने का प्रस्ताव रखा है। भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में अब ऐसा प्रदेश अध्यक्ष हो जो विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव के लिए भी अभी से तैयारी कर सके। वहीं, दूसरी तरफ हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंहदेव की नाराजगी की खबरें सामने आती रहती हैं। हाल ही में अटकलें लगाई जा रही थीं कि टीएस सिंहदेव पार्टी छोड़ सकते हैं लेकिन उन्होंने खुद ही साफ कर दिया था कि वो कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं।

क्यों है छत्तीसगढ़ में दो दिग्गजों के बीच विवाद ?
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्जकर राज्य में सरकार बनाई थी। भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंहदेव को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था। कांग्रेस पार्टी के उस समय के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने भूपेश बघेल को सीएम बनाया था। कहा जा रहा है कि इस बैठक में सीएम रोटेशन पॉलिसी तय की गई थी। जिसके अनुसार, ढाई-ढाई साल के दो सीएम होंगे। लेकिन ढाई साल पूरे होने के बाद इस पॉलिसी पर विचार नहीं किया गया जिसके बाद से टीएस सिंहदेव की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है।

मोहन मरकाम को लेकर दुविधा में क्यों है पार्टी?
छत्तीसगढ़ की सियासत में आदिवासी वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है। कहा जाता है कि राज्य में उसकी सरकार बनती हैं जिसके पक्ष में आदिवासी वोटर्स होते हैं। मोहन मरकाम भी आदिवासी वर्ग से आते हैं। विधानसभा चुनाव के लिए अभी 5 महीने का समय है ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को बदलने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.