रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। एक पुराने फिल्मी गीत के बोल हैं ‘कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना।’ अब तक तो विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से मायावती को साथ लेने के संदेश आ रहे थे। कांग्रेस के कुछ नेता बसपा से चुनावी समझौता करने के लिए लगातार लॉबिंग कर रहे थे। जेडीयू के भी कुछ सीनियर लीडर मायावती के करीबी नेताओं के संपर्क में थे। बसपा के भी कुछ सांसद किसी भी तरह से विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए बेकरार हो रहे थे, लेकिन मुंबई में विपक्षी नेताओं की बैठक शुरू होने से पहले ही लगता है पूरा गेम ही बदल गया।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के ताजा बयान ने तो भूचाल ही ला दिया है। उन्होंने कहा कि मायावती अभी भी बीजेपी के संपर्क में हैं, उनका रुख साफ होने पर ही कोई बात हो सकती है। शरद पवार ने ये बात मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई, लेकिन मायावती तो सुबह ही ट्विटर (X) पर पोस्ट कर बीएसपी का रुख साफ कर चुकी थीं।
मायावती ने कहा कि वो न तो वे NDA के साथ जा रही हैं और न ही INDIA गठबंधन के साथ। गैर बीजेपी पार्टियां मायावती पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगाती रहती हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अगर वे इनके साथ हो जाएं तो फिर सेक्युलर नहीं तो फिर उन्हें बीजेपी के साथ जोड़ दिया जाता है।

अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ीं मायावती :
मायावती ने कहा बीएसपी से गठबंधन करने के लिए सभी पार्टियां आतुर हैं। इसका जवाब फिर मुंबई से ही आया। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उन्हें कौन बुला रहा है? दो हफ़्ते में दूसरी बार मायावती के एकला चलो के ऐलान के बाद INDIA गठबंधन में शामिल पार्टियां उनके खिलाफ अचानक हमलावर हो गई हैं। कहीं ये सोची समझी रणनीति तो नहीं है। अगर मायावती अकेले ही अगला लोकसभा चुनाव लड़ने पर अड़ी रहती हैं तो फिर ऐसे में नुकसान सिर्फ और सिर्फ विपक्षी गठबंधन INDIA का ही तय है।
मायावती बीजेपी को पहुंचा रहीं फ़ायदा :
वहीं, गैर-बीजेपी पार्टियों ने अब बीएसपी को वोटकटवा पार्टी साबित करने का अभियान छेड़ दिया है। इन पार्टियों के नेता अब एक सुर में बस एक ही बात कह रहे हैं। ‘INDIA से बाहर रह कर मायावती बीजेपी को फ़ायदा पहुंचा रही हैं।’ सपा और कांग्रेस इस नैरेटेवि को जमीनी स्तर पर फैला कर यूपी में बीएसपी के अकेले लड़ने से होने वाले नुकसान को कम से कम करना चाहती हैं। विपक्षी गठबंधन यूपी में इस नैरेविट को सेट करना शुरू कर दिया है।
2022 में गिर गया था BSP का वोट शेयर :
यूपी के विधानसभा चुनाव में भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसी रणनीति पर चुनाव लड़े थे और मायावती पर बीजेपी की बी-टीम आरोप लगा रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर गिर कर महज 13 प्रतिशत रह गया था। इसका मतलब ये है कि मायावती के पास आज की तारीख में बस उनकी जाति यानि जाटव समुदाय ही वोट रह गया है। सीएसडीएस का सर्वे भी बताता है कि गैर-जाटव दलित वोट बड़ी संख्या में बीजेपी के साथ गया और 27 फीसदी जाटव वोट भी मिला है। बसपा को 65 फीसदी ही जाटव वोट मिले हैं।
बीजेपी के संपर्क में मायावती- शरद पवार :
उत्तर प्रदेश की सियासत में मुसमलानों का 83 फीसदी वोट सपा को मिला था। यूपी की तरह ही कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग पैटर्न दिखा था। कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस को बीजेपी की बी-टीम का नैरेटिव सेट किया था, जिसके चलते मुसलमानों ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में 87 फीसदी वोटिंग किए थे। इसी फॉर्मूले को 2024 में मायावती के खिलाफ विपक्षी गठबंधन ने आजमाने की रणनीति बनाई है। विपक्ष को लगता है कि बसपा पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाने से मुस्लिम वोट का बंटवारा भी रोका जा सकता है। यही वजह है कि शरद पवार ने मायावती को बीजेपी के संपर्क में होने की बात कही है।