नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन जारी है। 20 से 21 सदस्यों तक पहुंच चुके इस संगठन की एकता का प्रदर्शन करना इस बार बहुत बड़ी चुनौती रहा। ये चुनौती रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आई। यूक्रेन के समर्थक पश्चिमी देशों की मंशा रही कि शिखर सम्मेलन के साझा बयान में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी आलोचना की जाए, लेकिन रूस और चीन इस बात पर आपत्ति जता रहे थे। भारत इस मुद्दे पर G20 देशों के बीच सहमति बनाने की कोशिश में कामयाब रहा। जानिए आखिर यह सहमति कैसे बनी।

G-20 का साझा बयान तैयार करने में इस बार रहीं बहुत चुनौतियां :
US ने कहा कि साझा बयान में युद्ध पर रूस की कड़ी आलोचना जरूर होनी चाहिए। रूस ने कहा कि साझा बयान में युद्ध का मुद्दा शामिल करने पर वो सहमत नहीं होगा। भारत ने मध्यमार्ग अपनाते हुए कहा कि G20 विश्व अर्थव्यवस्था के विकास पर विचार करने का मंच है, युद्ध पर चर्चा हो ये जरूरी नहीं है। यूरोपियन यूनियन ने इस मुद्दे पर कहा कि शांति से ही समृद्धि का रास्ता तैयार किया जा सकता है।

ब्रिटेन ने क्या तर्क रखा?
ब्रिटेन ने तर्क रखा कि युद्ध से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। रूस-यूक्रेन के युद्ध की वजह से ही अनाज आपूर्ति सौदे पर रोक लग चुकी है। इसकी वजह से पूरी दुनिया के 10 करोड़ लोगों पर असर पड़ा है।

चीन ने क्या जवाब दिया?
चीन ने ब्रिटेन के बयान पर तर्क दिया कि युद्ध की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर नहीं पड़ा, बल्कि अमेरिका की तरफ से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। इन प्रतिबंधों के चलते रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर असर पड़ा है। इसलिए अर्थव्यवस्था पर असर के लिए रूस नहीं बल्कि अमेरिका जिम्मेदार है।

भारत ने कूटनीति के हथियार का किया इस्तेमाल :
रूस इस युद्ध में शक्तशाली हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन भारत को इस महायुद्ध की अंतरराष्ट्रीय समस्या से निपटने के लिए कूटनीति के हथियार का इस्तेमाल करना पड़ा। मुद्दा यही था कि रूस-यूक्रेन समस्या को साझा बयान में किस तरह शामिल किया जाए। शब्द ऐसे हों जिनसे अमेरिका और यूक्रेन के बाकी समर्थक देश भी सहमत हों और सार ऐसा हो जिस पर रूस और उसके बाकी समर्थक देश भी राजी हो जाएं। यानि ये कि बात ऐसे कही जाए जिससे भारत की गुटनिरपेक्षता और रूस के साथ दोस्ती दोनों अखंड रहें।

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G-20 के सभी सदस्य देशों को शेरपाओं ने साझा बयान तैयार करने पर बैठक की। ये बैठक 150 घंटे तक चली। बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा शामिल करने पर चर्चा हुई। G-7 और रूस-चीन के बीच मतभेदों को दूर किया गया। इस बैठक में यूक्रेन-रूस समस्या को साझा बयान में शामिल किया गया। साझा बयान के हर शब्द पर सभी देशों ने अपनी सहमति जताई। साझा बयान का यही वो दस्तावेज है, जिस पर सभी सदस्य देशों को समहत करने में भारत कामयाब रहा है।

साझा बयान में यूक्रेन युद्ध का किस तरह जिक्र किया गया?
इसको 4P फॉर्मूल के तहत परिभाषित किया गया है…
पहले P का मतलब है PLANET यानी धरती ग्रह।
दूसरे P का मतलब है PEOPLE यानी धरती के लोग।
तीसरे P का मतलब है PEACE यानी शांति।
चौथे का P का मतलब है PROSPERITY यानी समृद्धि।

यूक्रेन युद्ध पर साझा घोषणा पत्र में पहले पॉइन्ट में कहा गया कि युद्ध और विवादों से दुनिया पर नकारात्मक असर हो रहा है। इसके अलावा लिखा गया कि सभी देश UN चार्टर के उद्देश्यों, सिद्धातों के मुताबिक व्यवहार करें। किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता, स्वतंत्रता के खिलाफ शक्ति प्रयोग न हो।

ग्लोबल फूड, एनर्जी सिक्योरिटी पर युद्ध का नकारात्मक असर :
G-20 राजनीतिक या फिर सिक्योरिटा या रक्षा समाधान का मंच नहीं है। ग्लोबल फूड, एनर्जी सिक्योरिटी पर युद्ध का नकारात्मक असर हो रहा है। ब्लैक सी से रूस-यूक्रेन के अनाज और उर्वरक की आपूर्ति शुरू होनी चाहिए। खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा देने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर पर युद्ध के दौरान हमले रोके जाएं और डिप्लोमेसी और डायलॉग से विवादों का समाधान होना चाहिए। ये युद्ध का नहीं बल्कि ‘वन अर्थ, वैन फैमिली’ और ‘वन फ्यूचर’ का दौर है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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