नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। चंद्रयान और सूर्ययान के बाद अब बारी मिशन समुद्रयान की है। इस मिशन को नाम दिया गया है मिशन समुद्रयान। इस मिशन के तहत ‘MATSYA 6000’ नाम की पनडुब्बी को समंदर के 6 हजार मीटर नीचे भेजा जाएगा। इस पनडुब्बी में तीन एक्सपर्ट भी सवार होंगे, जो समंदर की गहराई में उतरकर रिसर्च करेंगे। मिशन समुद्रयान की जानकारी पृथ्वी विज्ञान विभाग के मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। किरेन रिजिजू ने मिशन से जुड़ी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की।

रिजिजू ने जानकारी दी कि मिशन समुद्रयान का मकसद समुद्र की गहराई में छिपे खनिजों और रहस्यों का पता लगाना है जिससे देश ब्लू इकॉनमी यानी समुद्र में मौजूद संसाधनों का फायदा उठा सके। मिशन समुद्रयान में इस्तेमाल होने वाली ‘MATSYA 6000’ पनडुब्बी को चेन्नई के National Institute of Ocean Technology में तैयार किया जा रहा है।
इसे 80 MM मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया है। ‘MATSYA 6000’ की लंबाई 9 मीटर है, इसकी चौड़ाई 4 मीटर और वजन 25 टन है। इस मिशन की लागत 4 हजार 77 करोड़ रुपए है। पृथ्वी विज्ञान विभाग के मंत्री किरेन रिजिजू ने ‘MATSYA 6000’ के अंदर का वीडियो भी शेयर किया है। रिजिजू ने समुद्रयान की खूबियों को देखा। इसके पहले चरण का परीक्षण अगले साल मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।

मिशन समुद्रयान देश का एक बड़ा प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट कई चरणों में चलेगा, 2026 तक ये तीन भारतीयों को समंदर की गहराई में ले जाएगा। इन दिनों इसकी टेस्टिंग चल रही है। रिसर्च के लिए समुद्रयान में कई अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं। इसमें 12 हाई-रेज्योलेशन कैमरे लगे हैं। इसमें समुद्र से सैंपल लेने वाले डिवाइस लगाए गए हैं। अगर भारतीय मिशन इन धातुओं की सटीक जानकारी पता लगाने में कामयाब रहा, तो ये देश के लिए बड़ी बात होगी। भारत का ये मिशन सफल रहा तो, हम गहरे समुद्र में इस तरह की रिसर्च करने वाले छठे देश बन जाएंगे। अब तक ये तकनीक और संसाधन सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के पास हैं।