रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। बीजेपी तीन चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत कौ सुनिश्चित करने के लिए नए और कड़े प्रयोग करने के मूड में है। यही वजह है कि जहां बीजेपी अपने सासंदों और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतार रही है तो वहीं, रमन सिंह जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के दबाव के आगे झुकने को भी तैयार नहीं है।
पर बीजेपी के सामने कर्नाटक की हार का सबक भी है जहां उसे बी एस येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाने का ख़ामियाज़ा उठाना पड़ा था। ऐसे में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले होने वाले इन राज्यों में बीजेपी फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
छत्तीसगढ़ में नो रिपीट फॉर्मूला पर परेशानी नहीं :
बीजेपी को छत्तीसगढ़ में नो रिपीट फार्मूला लागू करने में कोई दिक़्क़त नहीं आएगी। आज छत्तीसगढ़ में बीजेपी चेहरे की कमी से जूझ रही है। रमन सिंह आज बीजेपी के लिंए मजबूरी नहीं रह गए है। रमन सिह तीन बार मुख्यमंत्री भले रह चुके हैं, बड़े नेता है पर पार्टी के सीएम फेस नहीं है। वजह है सक्रियता की कमी।
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में अरूण साव, नारायण चंदेल जैसे नई लीडरशिप खड़ी करने की कोशिश की पर इनका कद ऐसा नहीं बन पाया कि इनके नाम को प्रदेश के एक छोर से दूसरे छोर के कार्यकर्ता जानते हों। मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ सांसद विजय बघेल को उतारकर ज़रूर पार्टी ने मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की।
महिला नेताओं में सरोज पांडेय है जिनकी छवि एक आक्रामक और तेज तर्रार नेता की है। बृजमोहन अग्रवाल राज्य में पार्टी के बड़े चेहरे हैं पर केंद्रीय नेतृत्व से संबंध मधुर नहीं होने के कारण साईडलाईन हैं। ऐसे मे अगर राज्य में सरकार बनती है तो पार्टी को नया चेहरा लाना पड़ेगा।